भारत की आर्थिक विकास की गति हो सकती है धीमी

भारत की आर्थिक विकास की गति हो सकती है धीमी

भले ही विश्व बैंक समेत तमाम संस्थाओं ने आर्थिक मोर्चे पर भारत के तेजी से ग्रोथ करने की उम्मीद जताई हो, लेकिन शुक्रवार को आने वाले आंकड़े निराश कर सकते है। भविष्य में विकास की तस्वीर काफी धुंधली हो सकती है। फैक्ट्रियों, खानों और सर्विस सेक्टर की सालाना उत्पादन रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल माह में प्रॉडक्शन बीते 6 महीने में सबसे निचले स्तर 1.6 फीसदी पर पहुंच गया है, जबकि इससे पहले के महीने में ही यह आंकड़ा 2.1 फीसदी था। यानी महज एक महीने में ही इन अहम सेक्टरों में 0.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार मई में उपभोक्ता मुद्रास्फीति 5 फीसदी तक पहुंच सकती है, जबकि अप्रैल में यह दर 4.87 फीसदी थी।

डीबीएस ग्रुप रिसर्च से जुड़े अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, भारत आर्थिक विकास की राह में सुस्ती की ओर बढ़ रहा है। शुक्रवार के आने वाले आंकड़े इसकी पुष्टि कर सकते है। ये आंकड़े शुक्रवार की शाम जारी होंगे। बीते माह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मार्च में समाप्त हुई तिमाही के दौरान भारत ने 7.5 फीसदी की ऊंची विकास दर हासिल कर चीन को पीछे छोड़ दिया था।

मॉनसून के कमजोर रहने पर अर्थव्यवस्था पर और विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक मॉनसून कमजोर रहने पर आर्थिक विकास दर 7 फीसदी तक पहुंच सकती है, जबकि बीते साल आर्थिक विकास की दर 7.3 फीसदी थी। कम बरसात होने पर महंगाई भड़केगी, जिससे लोगों के घर का बजट बिगड़ सकता है। इसका सीधा असर कई सेक्टरों में निवेश पर पड़ेगा। नोमुरा के एक विश्लेषक ने कहा, कृषि उत्पादन, रूरल डिमांड और खाद्य पदार्थों की कीमतें ही अर्थव्यवस्था का भविष्य तय करेंगी।

 

Leave a comment