साल के सबसे निचले लेवल पर शेयर बाजार

साल के सबसे निचले लेवल पर शेयर बाजार

शेयर बाजार बीते दिन 2015 में सबसे निचले लेवल पर आ गया। निफ्टी में लगातार छठे दिन गिरावट आई। एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे है। एनालिस्टों का कहना है कि मार्केट पहले ही मॉनसून की बारिश कम रहने और इस साल इंटरेस्ट रेट में कमी की गुंजाइश खत्म होने से मायूस था। अब सितंबर में अमेरिका में इंटरेस्ट रेट बढ़ने का डर भी उस पर हावी हो रहा है।

बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 245 अंक यानी 0.92 पर्सेंट की गिरावट के साथ 26,523 पर रहा। एनएसई का निफ्टी 70 अंक यानी 0.87 पर्सेंट फिसलकर 8,044 पर बंद हुआ। एनालिस्ट कह रहे है कि निफ्टी के लिए 8,000 अहम सपोर्ट लेवल है। अगर इंडेक्स इससे नीचे गिरता है तो वह 7,800 तक पहुंच सकता है। मार्च की शुरुआत में पीक लेवल से सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 12 पर्सेंट की गिरावट आ चुकी है। तब सेंसेक्स ने पहली बार 30,000 का सायकोलॉजिकल लेवल पार किया था।

विदेशी ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए ने इंडिया की रेटिंग ओवरवेट से घटाकर न्यूट्रल कर दी है। उसने एक नोट में लिखा है, अगस्त 2013 से जनवरी 2015 के बीच भारतीय बाजार में अच्छी तेजी रही, लेकिन अब इंडेक्स इसे नीचे की ओर तोड़ चुका है। यह 40 वीक के मूविंग एवरेज से भी नीचे आ गया है। एफआईआई ने सोमवार को 750 करोड़ के शेयर बेचे। अब तक जून में वे 2,100 करोड़ की बिकवाली कर चुके है। मई में उन्होंने 5,768 करोड़ के शेयर बेचे थे।

एमके पीएमएस के फंड मैनेजर और हेड सचिन शाह ने बताया, एफआईआई सेलिंग के चलते भारतीय शेयर बाजार पर प्रेशर बना हुआ है। रिजर्व बैंक ने पिछले मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में जनवरी 2016 के लिए महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 6 पर्सेंट कर दिया था। इससे मार्केट को मायूसी हुई है। इससे शॉर्ट टर्म में लोन के और सस्ता होने की गुंजाइश खत्म हो गई है। ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि मॉनसून की बारिश सामान्य से कम रहती है तो इसका भारत की रेटिंग पर बुरा असर पड़ सकता है। उसके मुताबिक, बारिश कम होने से पैदावार घटेगी और खाने के सामान महंगे हो सकते है।

एंबिट इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने बताया, अभी शेयर बाजार के ऊपर चढ़ने की कोई वजह नहीं दिख रही है। ग्रीस के लोन रिपेमेंट डिफॉल्ट या अमेरिका में इंटरेस्ट रेट बढ़ने जैसी आशंकाएं मार्केट पर हावी हैं। निफ्टी 8,000 से नीचे जा सकता है, लेकिन वह ज्यादा वक्त तक उस लेवल पर नहीं रहेगा। अमेरिका में हाल में जॉब डेटा काफी अच्छे आए है। इससे वहां इंटरेस्ट रेट में जल्द बढ़ोतरी के आसार जताए जा रहे है। अमेरिका में रेट बढ़ने पर इमर्जिंग मार्केट्स का अट्रैक्शन कम हो सकता है

 

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