
विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से पैसों की निकासी शुरू कर दी है और इस तरह के रुझान निकट भविष्य में बने रहने के आसार है। वैश्विक ब्रोकरेज कंपनी एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की तुलना में कोरिया और ताइवान के बाजार ज्याकदा आकर्षक हुए हैं और भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी की यह एक बड़ी वजह है। एचएसबीसी के अनुसार, इक्विटी से विदेशी निवेशकों के निकासी की संभावना बढ़ गई है।
एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी का पहला महीना इस साल मई रहा, जबकि कोरिया और ताइवान में इसी महीने के दौरान क्रमश: डेढ़ और एक अरब डॉलर का निवेश विदेशी निवेशकों ने किया। इस साल के पहले पांच महीनों के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 7.6 अरब डॉलर का निवेश किया था। दूसी तरफ, इसी अवधि के दौरान कोरिया और ताइवान में क्रमश: 8.6 अरब डॉलर और आठ अरब डॉलर का निवेश किया गया।
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर एशियाई बाजारों (जापान सहित) में इस साल के पहले पांच महीनों के दौरान 25.4 अरब डॉलर का निवेश किया गया।
एचएसबीसी के अनुसार, भारतीय बाजारों से इक्विटी से निकासी की शुरुआत हो चुकी है और इस साल मई में पहला आउटफ्लो देखने को मिला है। एचएसबीसी का अनुमान है कि दूसरे देशों के बाजारों के आकर्षक होने के कारण यह रुझान जारी रहने के संकेत है। इस ब्रोकरेज फर्म के अनुसार, भारतीय बाजारों के डायनामिक्सक इस शल की शुरुआत से बदलने लगे थे, जब निवेशकों को यह अनुभव हुआ कि सरकार द्वारा किए जाने वाले बदलावों में अनुमान से ज्याादा वक्त लगने वाला है। इससे कमाई का दवाब बना जबकि वैल्यूतएशन शीर्ष स्त र पर थे।
13 मई को एचएसबीसी ने भारत की रेटिंग ओवरवेट से घटा कर अंडरवेट कर दी है। हालांकि, इस ब्रोकरेज कंपनी का अब भी यह मानना है कि दीर्घावधि के लिहाज से भारतीय बाजारों में ग्रोथ की संभावनाएं बरकरार है।नीतिगत दरों में कटौती के मसले पर एचएसबीसी ने कहा है कि साल 2015 के दौरान अब दरों में कटौती की संभावना काफी कम है।
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