
भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा मार्केट है और अमेरिका चिकन मांस का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत में चिकन मांस का उपभोग लगातार बढ़ता जा रहा है और अनुमान है कि 2013 के 34.5 लाख टन की तुलना में 2014 में यह 37.2 लाख टन के आंकड़े तक पहुंच गया है। ऐसे में भारत का एआई (पक्षी से संबंधित इंफ्लुएन्जा) मापदंड अनुचित है क्योंकि वे रिस्क असेसमेंट पर आधारित नहीं है।
पिछले साल डब्ल्यूटीओ की एक कमिटी ने कहा था कि भारत का अमेरिका से चिकन मांस के आयात पर पाबंदी लगाना अतंर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। पैनल के उक्त फैसले के खिलाफ भारत की अपील पर सुनवाई के बाद अपीलीय निकाय ने गुरुवार को कहा कि इसने पाया है कि पैनल ने अनुचित रूप से कार्रवाई नहीं की जैसा की भारत ने तर्क दिया था। अपीलीय निकाय ने पैनल के इस निष्कर्ष को भी सही करार दिया कि भारत का एआई मापदंड न तो संगत अतंर्राष्ट्रीय मानक पर आधारित है और न ही उसके अनुरूप है।
इसने पैनल के उस निष्कर्ष को भी सही करार दिया जिसमें कहा गया है कि भारत के एआई मापदंडों ने इस आधार पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का भी उल्लंघन किया कि प्रतिबंध सिर्फ एक देश तक सीमित था न कि एआई रिस्क वाले किसी भी देश से आयात पर। भारत ने जनवरी 2015 में विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटारा बोर्ड के समक्ष एक अपील दाखिल की। 14 अक्टूबर 2014 को अपने फैसले में डब्ल्यूटीओ पैनल ने कहा था कि भारत के मापदंड मनमाना है और अनुचित रूप से सदस्यों के बीच में भेदभाव करता है जहां एक जैसी शर्तें लागू होती है।
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