सुब्रमणियन का नीतिगत दरों में कटौती पर है जोर

सुब्रमणियन का नीतिगत दरों में कटौती पर है जोर

मानसून कमजोर रहने की स्थिति में पर्याप्त अनाज भंडार की बदौलत मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने की उम्मीद जाहिर करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक द्वारा अगले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य दर में कटौती पर जोर दिया है।

सुब्रमणियन ने कहा कि अप्रैल में कर संग्रह में बढ़ोतरी चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़कर करीब नौ प्रतिशत तक पहुंचने का संकेत है जो पिछले वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत थी। सुब्रमणियन चाहते हैं कि रिजर्व बैंक चीन की तरह ब्याज दरों में कटौती करे ताकि घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन हो, भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धी बने और मेक इन इंडिया अभियान में मदद मिले।

उन्होंने कहा कि चालू खाते का घाटा जो साल भर पहले बड़ी चिंता का विषय था, चालू वित्त वर्ष में एक प्रतिशत से कम रहेगा। कच्चा तेल जिसके संबंध में भारत 79 प्रतिशत आयात पर निर्भर है, की कीमत बिना किसी तेज उतार-चढ़ाव के 50-80 डालर प्रति बैरल के अनुकूल दायरे में रहेगी।

मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर एक संवाददाता सम्मेलन में सुब्रमणियन ने कहा, मुद्रास्फीति के अनुमान, राजकोषीय घाटे एवं अंतरराष्ट्रीय माहौल की स्थिति को देखते हुए मौद्रिक नीति को कैसी पहल करनी चाहिए। मुझे लगता है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है। भारतीय रिजर्व बैंक दो जून को दूसरी द्धैमासिक नीतिगत समीक्षा की घोषणा करने वाला है जिसमें केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति और अन्य आर्थिक मानकों को ध्यान में रखकर ब्याज दरों के संबंध में पहल करेगा।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, एक चीज जो आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाली है, वह है मानसून। चूंकि हमारे पास अनाज का पर्याप्त भंडार है और यदि मानसून अच्छा नहीं भी रहता है तब भी हम मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में कामयाब रहेंगे। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस बार सामान्य से कम बारिश का अनुमान जताया है जिससे खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है और मूल्य बढ़ सकते है।

उन्होंने कहा, मान लें कि अप्रत्यक्ष कर में वृद्धि 0.9 से 0.8 प्रतिशत रहती है और मौजूदा मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 10.9 प्रतिशत से 12.3 प्रतिशत के बीच रहती है तो सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर 2015-16 में 7.7 से नौ प्रतिशत के बीच रहेगी। सुब्रमणियन ने स्वीकार किया कि मुद्रास्फीति बढने का जोखिम बना हुआ है। पर उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार मूल्य वृद्धि काबू में रखने में कामयाब रहेगी जैसा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान किया गया था।

उन्होंने कहा कि फिलहाल मुद्रास्फीति के मोर्चे पर स्थिति बेहतर है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति घटकर पांच प्रतिशत और थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले कई महीनों से शून्य से नीचे है। उन्होंने कहा, ताजा आकलन के मुताबिक खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति करीब पांच प्रतिशत पर है और थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 2.7 प्रतिशत कम रही। आर्थिक समीक्षा के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति पांच से 5.5 प्रतिशत के बीच रहेगी।

उन्होंने कहा, कुल मिलाकर मुद्रास्फीति कम है और मुद्रास्फीति को लेकर संभावना अच्छी दिख रही है। उल्लेखनीय मात्रा तथा राजकोषीय पुनर्गठन की गुणवत्ता और वाह्य स्थिति भी नियंत्रण में है। चीन की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि वह देश डालर खरीदकर मुद्राभंडार बढ़ा रहा है और अपनी ब्याज दरें जोर-शोर से कम कर रहा है ताकि अपनी मुद्रा को और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके तथा वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सके।


Leave a comment