अडाणी आए ऊपर जबकि अंबानी गए नीचे

अडाणी आए ऊपर जबकि अंबानी गए नीचे

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के साथ ही भारतीय शेयर बाजारों में निवेशकों को दस लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की आय हुई है। इन दस लाख करोड़ रुपये में सबसे ज्यादा फायदा टाटा, अडाणी, भारती, एचडीएफडी और सन ग्रुप जैसे उद्योग घरानों को हुआ है। वही, बाजार हैसियत के मामले में अंबानी भाईयों के समूह, वेदांता, आईटीसी और एलएंडटी समूह की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।

इस दौरान बाजार पूंजीकरण में बढ़त हासिल करने वाले अन्य प्रमुख समूह रहे बिड़ला, महिंद्रा, आईसीआईसीआई, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल। हालांकि हाल के दिनों में शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिल रहा है। लेकिन इसके बावजूद बाजार मोदी सरकार के पहले एक साल की अवधि में करीब 12 फीसदी का लाभ हासिल करने में सफल रहे। इस अवधि में सेंसेक्स 2,950 अंक मजबूत हुआ, जिससे सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1,02,52,461 करोड़ रुपये रहा।

साल की शुरुआत में सेंसेक्स 30,000 के स्तर के पार जा चुका था, लेकिन इसके बाद बाजार में आई तेज गिरावट से यह 27,643 अंक पर आ गया। मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में मुकेश अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह का शेयर बाजार के हिसाब मूल्य करीब 80,000 करोड़ रुपये घटकर 2,90,000 करोड़ रुपये रह गया, जिसकी मुख्य वजह आरआईएल के शेयर में करीब 20 फीसदी की गिरावट आना है।

इसी तरह, अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह के बाजार मूल्य में भी करीब 50,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई। इसी तरह अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह का बाजार मूल्य 20,000 करोड़ रुपये से अधिक घट गया। वहीं टाटा समूह की कंपनियों का बाजार मूल्य 1.10 लाख करोड़ रुपये बढ़ा, जिसमें अकेले टीसीएस को करीब 85,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।

इसी तरह एचडीएफसी और सन ग्रुप के बाजार मूल्य में एक-एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की बढ़त दर्ज की गई। सुनील मित्तल की अगुवाई वाले भारती समूह ने बाजार मूल्य में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की बढ़त हासिल की। गुजराती उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले अडाणी समूह ने बाजार मूल्य में करीब 50,000 करोड़ रुपये की बढ़त दर्ज की। अन्य समूहों में आदित्य बिड़ला समूह ने बाजार पूंजीकरण में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़त दर्ज की।

 

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