
ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें पिछले हफ्ले 67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई. यह इस साल का उच्चतम स्तर है। इसके चलते जहां पिछले साल महंगाई की मार से बचाने के लिए कई बार पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की गई। वहीं पिछले कुछ दिनों में कीमतों में हो रहे इजाफे से एक बार फिर देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ना शुरू हो गया है। अभी पिछले हफ्ते घरेलू मार्केट में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 5-5.5 फीसदी की वृद्धि हुई और यह इस महीने की दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है थी।
पेट्रोल-डीजल के दामों में हो रहे इजाफे से एक बार फिर देश के ऊपर महंगाई का खतरा मंडरा रहा है। पिछले लगभग एक साल से राहत की सांस ले रहे उपभोक्ताओं को अब डर लगने लगा है कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल का भाव यूं ही बढ़ता रहा तो जल्द उन्हें इसकी चुभन महसूस होने लगेगी। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ताओं को बढ़ते दामों से डरने की जरूरत नहीं है और इसके लिए उनके अनुसार ये चार कारण है।
इंवेस्टमेंट बैंकर गोल्डमन सैक्स को भरोसा है कि मिडल ईस्ट में कच्चे तेल का उत्पादन कम नहीं होगा और अगले दो साल तक कीमतें 65 डॉलर के दायरे में रहेंगी।नोमुरा का भी अनुमान है कि आने वाले दिनों में सउदी अरब अपना उत्पादन बढ़ाएगा और कीमतों पर दबाव रहेगा। हालांकि अब इसका फैसला 5 जून को होने वाली ओपेक देशों की बैठक में होगा।
यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन का मानना है कि मौजूदा क्वार्टर में स्टॉक 1.95 मिलियन बैरल प्रति दिन की दर से बढ़ रहा है और यह बढ़त 2016 के अंत तक जारी रहेगी।
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को तय करने में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में रुपये की चल बहुत अहम है। पिछले सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 20 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। ग्लोबल न्यूज एजेंसी राइटर के सर्वे के मुताबिक रुपये 64 के स्तर पर बना रहा तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक बार फिर गिरावट आएगी।
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