कांग्रेस का रुख है विकास और ग्रोथ विरोधी: जेटली

कांग्रेस का रुख है विकास और ग्रोथ विरोधी: जेटली

कांग्रेस के नेताओं के कुछ बयान तो कार्ल मार्क्स से भी ज्यादा वामपंथी रुझान वाले है और ऐसा लगता है कि उसके टॉप लीडर्स विधेयकों का विरोध बिना यह देखे हुए कर रहे है कि उसमें बात क्या की जा रही है। विपक्षी दल के बारे में यह टिप्पणी की है फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से जुड़े विधेयक को पास कराने में देरी पर निराशा जताते हुए जेटली ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस का रुख देश के लिए निराशाजनक रहा क्योंकि यह बिल को यूपीए ने ही सबसे पहले पेश किया था और कांग्रेस को पता है कि इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े इस रिफॉर्म के लिए 1 अप्रैल 2016 की डेडलाइन पूरी करने में कैसी दिक्कतें आ सकती है।

सरकार पर रिफॉर्म्स की दिशा में पर्याप्त तेजी न दिखाने और सरकार के टॉप लीडर्स से मुलाकात में दिक्कतों के बारे में इंडस्ट्री के कुछ हलकों से उठ रही आवाजों पर प्रतिक्रिया देते हुए जेटली ने कहा कि हो सकता है कि इंडस्ट्री के एक हिस्से को परेशानी हो रही हो क्योंकि क्रोनी कैपिटलिज्म की जगह पारदर्शी व्यवस्था ने ले ली है।

कांग्रेस वाइस प्रेजिडेंट राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर पिछले दिनों लगातार हमले किए और कांग्रेस को किसानों, मजदूरों और मछुआरों के हितों का खयाल रखने वाली प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की थी। राहुल ने सरकार के कथित कॉर्पोरेट समर्थक कदमों की आलोचना करने के लिए सूट-बूट की सरकार का जुमला भी उछाला था।

इंटरव्यू में जेटली ने कांग्रेस की ओर से हो रही आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि वह विकास विरोधी है। जेटली ने कहा, अगर कांग्रेस नेताओं के कुछ भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो वे कार्ल मार्क्स से भी ज्यादा वामपंथी लगते है। ऐसा रुख ग्रोथ के खिलाफ जाता है। फाइनैंस मिनिस्टर ने कहा, कांग्रेस खुद को विकास विरोधी और ग्रोथ विरोधी दल के रूप में पेश कर रही है।

जेटली ने किसी का नाम न लिए बगैर कहा कि ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को जीएसटी और रीयल एस्टेट बिल जैसे अहम विधेयकों के कंटेंट या बैकग्राउंड की जानकारी ही नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इसके चलते पार्टी का रुख उसके लीडर के मूड से प्रभावित हो गया। जेटली ने कहा, मुझे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप या तो विधेयकों पर गौर से नजर नहीं डाल रही है या उनके इतिहास पर ध्यान नहीं दे रही है, जो उससे ही जुड़ा हुआ है। पार्टी अपने लीडर के मूड के हिसाब से चल रही है।

जेटली ने कहा कि बिजनस के बारे में सरकार की नीतियां किसी को तरजीह देने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी का आम तौर पर जोर इस बात पर है कि बिजनस करने में सहूलियत हो। फाइनैंस मिनिस्टर ने कहा कि हो सकता है कि इसकी वजह से वे कंपनियां नाखुश हो, जिन्हें यूपीए शासन के दौरान स्पेक्ट्रम या खदानें मुफ्त मिल गई थी, लेकिन मार्केट लिबरलाइजेशन और क्रोनी कैपिटलिज्म में यही तो अंतर है।

 

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