
एक ओर जहा विपक्ष भूमि अधिग्रण बिल का विरोध कर
रहा है वही दूसरी ओर सरकार जल्द ही इसे पारित करना चाहती है दरअसल अब मोदी
सरकार ने इस बात का खुले आम एलान किया कि यदि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक बजट
सत्र में यदि राज्यसभा में पारित नहीं होता है तो संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है, और
इस विधेयक से सम्बंधित मसलों पे दुबारा विचार विमर्श किया जा सकता है
।
देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्यसभा में पारित नहीं
होने पर इस विधेयक को संयुक्त सत्र में रखना संवैधानिक जरूरत होगी। उन्होंने कहा
कि देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के
लिए नए भूमि अधिग्रहण कानून की दरकार है।
जेटली ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी सरकार इस
विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने का पूरा प्रयास करेगी क्योंकि यह ग्रामीणों के
हित में है।गौरतलब है कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा
कि राज्यसभा में सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने की कोशिश की जायेगी। ऊपरी सदन
में गतिरोध बनने और विधेयक के पारित नहीं होने पर संयुक्त सत्र बुलाए जाने के बारे
में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि यह वरीयता का सवाल नहीं है बल्कि संवैधानिक
जरूरतों से जुडा मुद्दा है।
विधेयक के पारित करने की समयावधि के बारे में पूछे जाने पर
उन्होंने कहा कि राजनीति के कैलेंडर में अंतिम दिन नहीं होता है। विपक्षी सदस्यों
को अंतिम समय तक साथ देने की अपील की जाएगी।
इस विधेयक से मोदी सरकार पर अमीर और कॉर्पोरेट समर्थक होने का
ठप्पा लगने और किसानों की आत्महत्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि
आत्महत्याएं नए कानून की वजह से नहीं हो रही हैं। यह विधेयक संयुक्त प्रगतिशील
गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2013 में ही पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन सरकार इस कानून में बदलाव करना चाहती है और किसान परिवार के
लोगों के रोजगार देना चाहती है,
इसलिए नया विधेयक लाया गया है।
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