भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसान हितैषी

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसान हितैषी

एक ओर जहा भूमि अधिग्रहण बिल परह विरोध बेदस्तूर जारी है वही दूसरी ओर देश के उद्योग जगत ने संसद में सोमवार को पेश किए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की बुधवार को सराहना की और कहा कि इससे लाखों नौकरियों का सृजन होगा। उद्योग जगत ने कहा कि यह किसान हितैषी है और इससे आर्थिक विकास को तेजी मिलेगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने जारी एक बयान में कहा, यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिससे आर्थिक खाई कम होगी और देश में समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

परिसंघ के अध्यक्ष सुमित मजुमदार ने कहा, उद्योग और किसानों को एक-दूसरे का विरोध नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, करोड़ों रुपये की अवसंरचना और औद्योगिक परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण संबंधी बाधा के कारण देरी हो रही है। इसके कारण लाखों भूमिहीनों को नौकरी नहीं मिल पाती है और जीविका के लिए उन्हें शहर की झुग्गियों में शरण लेना पड़ता है। लोकसभा में पेश भूमि अधिग्रहण विधेयक में आवासीय, ग्रामीण अवसंरचना, विद्युतीकरण और सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं को 70-80 फीसदी जमीन मालिकों की अनिवार्य सहमति और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआईए) से मुक्त रखा गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि 2013 में पारित भूमि कानून किसान विरोधी था। जेटली ने यहां परिसंघ के एक सम्मेलन में कहा था, 2013 का भूमि कानून ग्रामीण भारत विरोधी था। पुराने कानून के बारे में उन्होंने कहा था, \'उसमें ग्रामीण अवसंरचना के लिए कोई प्रावधान नहीं था, यहां तक कि सिंचाई के लिए भूमि अधिग्रहण को भी छोड़ दिया गया था और उसके तहत ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए भूमि उपलब्ध कराने का प्रावधान नहीं था।\'

भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। इसे दिसंबर में अध्यादेश के जरिए लागू किया गया था। राज्यसभा में इसका तीखा विरोध हुआ, जिसके बाद कुछ सुधार के साथ इसे फिर से अध्यादेश के जरिए लागू कर दिया गया।

 

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