रिलायंस इंडस्ट्रीज को 23 प्रतिशत हुआ लाभ

रिलायंस इंडस्ट्रीज को 23 प्रतिशत हुआ लाभ

नई दिल्ली : रिकॉर्ड रिफाइनिंग मार्जिन की बदौलत निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी पेट्रोकेमिकल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने गत 31 मार्च 2015 को समाप्त चौथी तिमाही में गत 7 वर्षों का सर्वाधिक तिमाही मुनाफा हासिल किया। पेट्रोकेमिकल तथा तेल एवं गैस कारोबार में गिरावट के बावजूद रिकार्ड रिफाइनिंग मार्जिन हासिल होने से कंपनी का एकीकृत शुद्ध तिमाही लाभ 8.5 फीसदी बढकर 6,381 करोड़ रुपए रहा। प्रति शेयर तिमाही लाभ 21.7 रुपए रहा।

इससे गत वित्त वर्ष की इसी तिमाही में शुद्ध लाभ 5,881 करोड़ रुपए तथा प्रति शेयर लाभ 20 रुपए था। रिलायंस इंडस्टीज का एकल शुद्ध लाभ आलोच्य अवधि में 10.8 फीसदी बढकर  6,243 करोड़ रुपए रहा। वर्ष 2007-08 की तीसरी तिमाही के 8,079 करोड़ रुपए के लाभ के बाद 2014-15 की चौथी का मुनाफा सबसे ऊंचा है। गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़े रिफाइनरी परिसर चलाने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज को 2014-15 की चौथी तिमाही में कच्चे तेल के शोधन पर 10.1 डालर प्रति बैरल का फायदा हुआ।

एक वर्ष पहले इसी दौरान रिफाइनिंग मार्जिन 9.3 डालर प्रति बैरल था। पेट्रोलियम से लेकर दूरसंचार क्षेत्र में कारोबार करने वाली रिलायंस के रिफाइनिंग वर्ग में आलोच्य तिमाही में अब तक का सर्वाधिक 4,902 करोड़ रुपए का कर पूर्व मुनाफा हासिल किया गया। यह गत वर्ष के मुकाबले 23.7 फीसदी अधिक रहा। इससे पेट्रोकेमिकल्स तथा तेल एवं गैस कारोबार में आई गिरावट की भरपाई में मदद मिली।

अमेरिका के शेल गैस कारोबार में भी इस दौरान कर पूर्व मुनाफे में 23.1 फीसदी की गिरावट रही लेकिन दूसरी ओर खुदरा व्यवसाय में कर पूर्व मुनाफा एक वर्ष पहले के 24 करोड़ रुपए से बढकऱ 104 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। आरआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश डी. अंबानी ने कहा कि रिलायंस के लिए वित्त वर्ष 2014-15 काफी सफल तथा  महत्वपूर्ण वर्ष रहा। ऐसे समय जब कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट से हाइड्रोकार्बन बाजार अस्थिर हुआ है, हमारे रिफाइनिंग कारोबार में रिकार्ड कमाई हुई है।

अंबानी ने कहा, क्वक्वहमारे संगधित खुदरा व्यवसाय ने देशव्यापी उपस्थिति दर्ज करने के साथ ही उढंची वृद्धि हासिल करना बरकरार रखा है। चौथी तिमाही में कंपनी का कुल कारोबार 33.3 फीसदी घटकर 70,863 करोड़ रुपए रह गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने से कंपनी का निर्यात कारोबार ज्ञी 44 प्रतिशत घटकर 37,480 करोड़ रुपये रह गया। इस दौरान कंपनी पर कर्ज दिसंबर 2014 के।,50,007 करोड़ रुपये से बढकऱ।,60,860 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

 

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