
वॉशिंगटन: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत में नौ से 10 प्रतिशत वृद्धि को नया सामान्य स्तर बनाने की क्षमता है और बढ़ती आबादी से उत्पन्न चुनौतियों से निटपने के लिए तीव्र विकास दर की दरकार है। जेटली ने मोदी सरकार के एक वर्ष पूरा करने के मौके पर अमेरिकी थिंक टैंक संस्था सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज द्वारा भारत अमेरिका वाणिज्यिक भागीदारी को मजबूत बनाने पर यहां आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में कहा कि देश की बढ़ती आबादी से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए उच्च वृद्धि जरूरी है।
जानकारी के मुताबिक निवेश के लिए द्वार खोले भारत में आने वाले दिनों में 09 से 10 प्रतिशत की वृद्धि को अपना नया सामान्य स्तर बनाने की क्षमता है। नई सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें राज्यों को और वित्तीय ताकत मुहैया कराना, बुनियादी ढांचे पर निवेश बढ़ाना, विनिर्माण पर जोर आदि के जरिए निवेश के लिए द्वार खोलने का खाका तैयार किया गया है। नई परियोजना अवधि में कमी वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार नई परियोजनाएं शुरू करने की अवधि कम करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए एक नई समिति का गठन किया गया है जो पूरी प्रणाली पर विचार करेगा और पूर्वानुमति की पूरी प्रक्रिया की जगह नियामकीय प्रणाली ले लेगी जहां उद्योग जगत के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन कर कारोबार शुरू करना बहुत सरल हो जाएगा। विदेशी निवेशक आकर्षित उन्होंने इस संबंध में बीमा, रक्षा, रेलवे और रियल एस्टेट क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुल मिलाकर भारत में यह स्वागतयोग्य कदम है।
दरअसल बहुत कम ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें अभी भी विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है। हर क्षेत्र को खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार विधेयक भारत में आज विवादास्पद मुद्दा है। मौजूदा भूमि कानून एक बाधा जेटली ने कहा मुझे यह कहने में हिचकिचाहट नहीं है कि भूमि कानून यदि मौजूदा स्वरूप में रहता है तो रोजगार सृजन के लिए बड़ी बाधा होगा। जिन क्षेत्र में हम भूमि अधिग्रहण विधेयक को उदार बनाने की कोशिश कर रहे हैं उनमें औद्योगिक गलियारा बनाना भी शामिल है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में रोजगार दे सकता है।
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