भारत कर सकता है ईरान में निवेश

भारत कर सकता है ईरान में निवेश

नई दिल्‍ली : भारत और ईरान के बीच कई सेक्टर्स को लेकर ट्रेड सहमति बन गई है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के हटने की उम्‍मीद में ईरान ने द्विपक्षीय व्‍यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का प्रस्‍ताव किया है।

 

यें मामला हाल ही में वाणिज्‍य सचिव राजीव खेर की तेहरान यात्रा के दौरान विचार के लिए उनके सामने लाया गया था। खेर ने हाल ही में दोनों देशो की ज्‍वाइंट वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में हिस्‍सा लिया था। उन्होंने बताया कि ईरान भारत के साथ अपने व्‍यापारिक संबंध मजबूत करने का इच्‍छुक है। ईरान वैश्विक व्‍यापार में अपनी हिस्‍सेदारी बढ़ाना चाहता है। ईरान के इस लक्ष्य को पूरा करने में भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

 

राजीव खेर ने बताया कि ईरान ने भारत के साथ प्रीफेरेंशियल ट्रेडिंग एग्रीमेंट पर बातचीत का प्रस्‍ताव दिया है। भारत इस प्रस्‍ताव पर सकारात्‍मक रूप से विचार करेगा और सरकार से जरूरी मंजूरी लेने के बाद जल्‍द ही इस पर जवाब भी दिया जाएगा। खेर ने कहा कि यह पैक्ट भारत के लिए फायदेमंद है। इसके जरिए यूरोप और अफ्रीका के कुछ भागों में नए बाजार मिलेंगे। खेर ने तेहरान के ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप मीटिंग को लेकर कहा कि वहां कई अधिकारियों और इंडस्ट्री चैंबर्स से बातचीत की गई। यह मीटिंग हर साल होगी। ईरान न्यूक्लीयर प्रोग्राम के लिए दुनिया के छह शक्तिशाली देशों से बातचीत करेगा। इसके तहत हो सकता है कि इस्लामिक देशों में ट्रेड प्रतिबंध हट जाए। इस कदम से ईरान का भारत समेत दूसरे देशों के साथ ट्रेड रिश्ते मजबूत होंगे।

 

भारत और ईरान ने पेट्रोलियम, पेट्रो केमिकल्स, रॉ मटेरियल जैसे गोल्ड और स्टोन कीमती धातुओं को लेकर आपसी सहमति तैयार की है। खेर ने कहा कि ईरान अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बूस्ट करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ईरान पेट्रोकेमिकल्स, इंजीनियरिंग, फॉर्मा और एग्रो प्रोसेसिंग को लेकर निवेश चाहता है। इसके लिए भारत सबसे बढ़िया विकल्प रहेगा। भारत टेक्सटाइल, अपैरल और हेल्थकेयर सर्विसेज ट्रेड को बढ़ाना चाहता है। ईरान रेल इंफ्रा, पॉवर इंफ्रा, सिंचाई सुविधा को भी बढ़ाना चाहता है। भारत के पास इंजीनियरिंग और प्रोजेक्ट एक्सपोर्ट में बेहतर क्षमता है। ईरान रेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए रेल वैगन भी खरीदना चाहता है। ईरान डब्ल्यूटीओ का सदस्य बनना चाहता है। भारत ईरान की इसमें मदद करेगा।

भविष्य में इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरीडोर ट्रांसिट रूट बनने को लेकर बातचीत होगी। यह रूस और पूर्वी यूरोपियन बाजार में पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रूट होगा। इसके चलते निर्यातकों को ट्रांजेक्शन लागत में बड़ी कमी आएगी।

 

ईरान ने इस बातचीत में भारतीय बासमती चावल के आयात को बढ़ाने की भी बात कही है। हालांकि, ईरान ने भारत से कोडेक्स प्लस स्टैंडर्ड के तहत चावल निर्यात करने को कहा है। अंतरराष्ट्रीय फूड ट्रेड में सेफ्टी के लिए कोडेक्स प्लस स्टैंडर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। भारत ने भी इन्हीं मानकों पर चावल निर्यात करने की बात कही है। गौरतलब है कि भारत ईरान को सबसे ज्यादा बफैलो मीट और दूसरे नंबर पर बासमती चावल का निर्यात करता है।

 

ईरान टी और फॉर्मा क्षेत्र में ट्रेड बढ़ाने के लिए एक दल भारत भेजेगा। इसके अलावा बैंकिंग सर्विस में भी दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ाएगें। भारत और ईरान के बीच 2013-14 में द्वीपक्षीय व्यापार 15.27 अरब डॉलर का था। जबकि 2012-13 में दोनों देशों के बीच आपसी कारोबार 14.94 अरब रहा।

 

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