साल भर में घट सकती है ब्याज दरें

साल भर में घट सकती है ब्याज दरें

रिजर्व बैंक की ओर से एक साथ किसी बड़ी कटौती की उम्मीद गलत है। इस पूरे साल में उनके मुताबिक नीतिगत दरों में 1.25 से 1.75 फीसदी की कटौती संभव है। इसमें से रिजर्व बैंक 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती दो बार कर चुका है। इस तरह अभी 0.75 से 1.25 फीसदी तक की कटौती की गुंजाइश अभी बाकी है।

दिनों दिन सुधरती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अमेरिका में ब्याज दरें जल्द बढ़ाए जाने की अटकलें अब तेज हो रही हैं। डॉलर इंडेक्स का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना इस बात का संकेत है। प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर इंडेक्स 12 वर्षों के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है। लेकिन मेरे हिसाब से अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का भारतीय शेयर बाजार कोई गहरा नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से भारतीय बाजार पर बहुत छोटी अवधि के लिए कुछ असर पड़ता जरुर दिखेगा लेकिन लंबी अवधि में शेयर बाजार की चाल पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से बाजार में निवेश होन वाली पूंजी महंगी हो जाएगी। इससे तेजी से देश में आने वाले विदेशी निवेश की गति कुछ कम हो जाएगी। लेकिन महंगी पूंजी को निवेशक ऐसे ही बाजार में निवेश करना चाहेंगे जहां निवेश में जोखिम कम हो। ऐसे में दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारतीय बाजार उनकी पहली पसंद होंगे। इसलिए लंबी अवधि में शेयर बाजार की चाल पर ब्याज दरें बढ़ने का कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही भारतीय बाजारों में विदेशी निवेश भी जारी रहेगा।

शेयर बाजार में रिटर्न की बात करें तो इस साल बाजार में पिछले साल की तरह 25 से 30 फीसदी रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इस साल निवेशकों को 13 से 17 फीसदी तक के रिटर्न मिल सकते हैं। शेयर बाजार की तेजी में सबसे ज्यादा फायदा इंफ्रास्ट्रक्चर और ऐसी पीएसयू कंपनियों को होगा जो लंबे समय से मुनाफे में हैं। सरकार आने वाले दिनों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े निवेश करेगी। जिसका फायदा पोर्ट, शिपिंग कंपनियों को होता दिखेगा। साथ ही निवेशक अपने पोर्टफोलियो में लंबी अवधि के लिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को शामिल करने की सलाह देते हैं।

रुपए में जो गिरावट पिछले दिनों में देखी गई है वो केवल वित्त वर्ष खत्म होने से पहले डॉलर की मांग में जबरदस्त इजाफा होने की वजह से है। वित्त वर्ष खत्म होने से पहले छोटी अवधि के लिए बाजार में निवेशित पीई इंवेस्टमेंट के सौदे सेटल होते हैं जिसकी वजह से डॉलर की मांग में जबरदस्त इजाफा हो जाता है। रुपए में आई गिरावट केवल डॉलर और रुपए के मिसमैच की वजह से है। आने वाले दिनों में रुपए की मजबूती लौटेगी और रुपया 61.50 से 62.50 के दायरे में ट्रेड करता दिखेगा।

 

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