
नई दिल्ली। नए कंपनी कानून में कंपनियों द्वारा ली गई जमाओं के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस का प्रावधान अनिवार्य कर दिया गया है। जिसकी सुविधा अभी बैंकों की जमाओं पर ही मिलती है। इस संबंध में कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय ने नए नियम जारी कर दिए हैं। कंपनियों में निवेश करना अब कम जोखिम भरा होगा।
कंपनियां प्रमुख रूप से फिक्सड डिपॉजिट, बांड, डिबेंचर के रूप में निवेशकों से पूंजी जुटाती हैं। जिसके लिए वह बैंकों की तुलना में 1-2 फीसदी तक ज्यादा ब्याज देती हैं। ऐसी जमाओं पर निवेशकों के हित की रक्षा करने के लिए नए कंपनी कानून के तहत यह प्रावधान किए गए हैं। जिसमें अब कंपनियों के लिए साल में एक बार कम से कम अपने प्रोडक्ट की रेटिंग कराना भी अनिवार्य हो गया है।
कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय द्वारा कंपनी (जमा की स्वीकृति) नियम 2015 में कहा गया है कि कंपनियों को निवेशकों से लिए जाने वाले डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कराना होगा। इसके तहत कंपनियों को एक साल तक की छूट दी गई है। ऐसा इसलिए है, कि अभी डिपॉजिट इंश्योरेंस का प्रोडक्ट बाजार में नहीं है। जिसे देखते हुए नए नियम में कहा गया है कि कंपनियां &1 मार्च 2016 तक बिना इंश्योरेंस के डिपॉजिट ले सकती हैं। लेकिन उसके बाद या फिर इस बीच इंश्योरेंस प्रोडक्ट आने के बाद वह डिपॉजिट नहीं ले पाएंगी।
नए नियम में कंपनियों के लिए अपने डिपॉजिट प्रोडक्ट का साल में कम से कम एक बार रेटिंग कराना अनिवार्य होगा। जिससे कि कंपनी के प्रोडक्ट की सही जानकारी निवेशकों को मिल सके। इस संबंध में कौन सी रेटिंग एजेंसी क्या न्यूनतम रेटिंग लेनी होगी, इसको भी नियम में तय कर दिया गया है। जिसको रजिस्ट्रॉर ऑफ कंपनीज को जानकारी देना अनिवार्य होगा।
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