
मुंबई:फिल्मी हस्तियों
को प्रदान किए जानेवाले प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने जाने पर
गीतकार गुलजार ने अपने संघर्ष के शुरुआती दिनों में दिल्ली में सब्जी मंडी में
पेट्रोल पंप पर काम करके पढ़ाई का खर्च निकालते थे. फिल्मों में करियर बनाने के
लिए दिल्ली से बंबई पहुंचने पर उन्होंने बर्ली में एक गैराज में मैकेनिक के बतौर
काम शुरू किया. वह खाली समय में कविताएं लिखते थे. गुलजार को शायरों और
साहित्यकारों तथा नाटककारों से जल्द ही संपर्क हुआ और इनकी मदद से वह गीतकार
शैलेन्द्र तथा संगीतकार सचिन देब बर्मन तक पहुंचे.

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