महंगाई पर सरकार ने तय की रिजर्व बैंक की जवाबदेही

 महंगाई पर सरकार ने तय की रिजर्व बैंक की जवाबदेही

नई दिल्ली : सरकार ने महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर दी है और अब मुद्रास्फीति के लक्ष्य से कम या ज्यादा रहने पर केंद्रीय बैंक को इसके कारण और प्रस्तावित समाधान के साथ सरकार को रिपोर्ट सौंपनी होगी।

इससे अब सरकार ने महंगाई की जवाबदेही से अपना पल्ला झाड़ लिया है। सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय तथा आरबीआई के बीच इस आशय का एक समझौता भी किया गया है जो किसी कॉपोरेट समझौते की तरह है।

इस पर वित्त सचिव राजीव महर्षि और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के मुताबिक केंद्रीय बैंक को अगले साल जनवरी तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर को छह प्रतिशत की सीमा से कम पर लाने का लक्ष्य दिया गया है।

साथ ही मध्यम अविध में महंगाई दर चार प्रतिशत रखने का लक्ष्य है जिसमें ऊपरी और निचली सीमा में दो प्रतिशत तक की छूट दी गई है।

आगामी वित्त वर्ष से लगातार तीन तिमाहियों में महंगाई दर के छह प्रतिशत से अधिक रहने या वित्त वर्ष 2016-17 से लगातार तीन तिमाहियों में इसके दो प्रतिशत से नीचे जाने पर रिजर्व बैंक को इस मोर्चे पर अपनी विफलता के कारण बताने होंगे और वापस इसे तय सीमा के भीतर लाने के लिए जरूरी सुझावों के साथ रिपोर्ट सौंपनी होगी।

साथ ही उसे यह भी बताना होगा कि महंगाई दर को तय सीमा में वापस लाने में कितना समय लगेगा।इसके अलावा हर छह महीने में आरबीआई को एक दस्तावेज प्रकाशित कर बताना होगा कि महंगाई के स्रोत क्या हैं अगले छह से 18 महीनों में महंगाई का ग्राफ क्या होगा।

इस समझौते का उद्देश्य आर्थिक विकास के साथ मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना है। करार पर 20 फरवरी को हस्ताक्षर हुआ था और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया।

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