स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

 स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उत्तर पूर्व सर्किल के स्पेक्ट्रम नीलामी मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सरकार ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हाई कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनी भारती हैक्साकॉम लिमिटेड और रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड को उत्तर पूर्व सर्किल के स्पेक्ट्रम बैंडों की नीलामी में दो आवेदन करने की अनुमति दे दी है। जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट आई है। इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई होगी।

सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी. नरसिम्हा ने कहा कि मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए क्योंकि नीलामी में हिस्सा लेने के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि आज ही है। उनके अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने मामले पर मंगलवार को सुनवाई करने की मंजूरी दे दी।

इससे पहले नरसिम्हा ने कहा कि नियम कहता है कि एक कंपनी 5 मेगाहर्ट्ज से कम के लिए आवेदन नहीं कर सकती लेकिन एक कंपनी एक ही आवेदन कर सकती है। त्रिपुरा हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में भारती हेक्साकॉम और रिलायंस टेलीकॉम को 5 मेगाहर्ट्स बैंड के अलावा 4.4 मेगाहर्ट्ज बैंड की नीलामी में भी भाग लेने की अनुमति दे दी है। इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी के बारे में फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं लेगी।

नरसिम्हा ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश से नीलामी प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित होगी। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार का पक्ष सुने बगैर एकतरफा आदेश जारी किया है। सरकार की यह भी दलील थी कि नीलामी की प्रक्रिया और शर्तें तय करना सरकार का नीतिगत मामला है और कोर्ट नीतिगत मामले में दखल नहीं दे सकता।

भारती और रिलायंस ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार की नीलामी शर्तो को चुनौती दी है। कंपनियों का कहना है कि शर्त के मुताबिक 900 मेगाहर्ट्ज से लिए कंपनी कम से कम 5 मेगाहर्ट्ज की बिड कर सकती है ऐसे में 8.8 मेगाहर्ट्स की नीलामी में दो लोग नहीं हो सकते और सरकार को 3.8 मेगाहर्ट्स के राजस्व का नुकसान होगा।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कम से कम 5 मेगाहर्ट्स के लिए बिड करने का मतलब यह नहीं है कि कंपनी 8.8 मेगाहर्ट्स के लिए आवेदन नहीं कर सकती। हाई कोर्ट ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह कोर्ट की अनुमति के बगैर मामले में अंतिम फैसला नहीं करेगी।

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