तीन होटलों से सहारा को मिलेंगे अधिकतम 1.67 अरब डॉलर

 तीन होटलों से सहारा को मिलेंगे अधिकतम 1.67 अरब डॉलर

न्यूयॉर्क : आरोप-प्रत्यारोप के बीच सहारा समूह के तीन विदेशी होटलों के बारे में अमेरिकी कंपनी मिराच कैपिटल ने अहम दावा किया है। उसका कहना है कि इनकी बिक्री से समूह को अधिकतम 1.67 अरब डॉलर (10,400 करोड़ रुपये) मिल सकते हैं।

इन तीन आलीशान होटलों को सहारा समूह ने 2010-2012 के बीच खरीदा था। एक अनुमान के अनुसार इनके लिए समूह ने 1.55 अरब डॉलर चुकाए थे। इनमें न्यूयॉर्क में प्लाजा व ड्रीम डाउनटाउन और लंदन स्थित ग्रॉसवेनर हाउस शामिल हैं। 

मिराच के दावे के उलट बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि इनकी कीमत बढ़कर करीब 2.2 अरब डॉलर हो चुकी है। सहारा और मिराच एक-दूसरे को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे चुके हैं।

सूत्रों की मानें तो सौदे को अमलीजामा पहनाने के लिए मिराच अभी भी सहारा से संपर्क साधने की कोशिश में जुटा है। उसने बैंक ऑफ चाइना में आवश्यक फंडों को सीधे जमा करने के विकल्प को भी खुला रखा है। यह वही बैंक है जिससे संकटग्रस्त भारतीय समूह ने लोन ले रखा है।

मिराच ने सहारा की तीनों विदेशी प्रॉपर्टियों को एकमुश्त खरीदने का विकल्प भी दिया हुआ है। पूर्व में उसने सहारा की खातिर 2.05 अरब डॉलर की सिंडिकेट लोन व्यवस्था की पेशकश की थी। समूह को यह राशि सुब्रत राय को तिहाड़ जेल से छुड़ाने के लिए चाहिए। सहारा प्रमुख सुब्रत राय लगभग एक साल से जेल में बंद हैं।

मिराच के सीईओ सारांश शर्मा ने कहा कि प्लाजा, ड्रीम और ग्रॉसवेनर की एंटरप्राइज वैल्यू 1.67 अरब डॉलर है। जैसी स्थितियां हैं, उनसे इन होटलों में सहारा की हिस्सेदारी की वास्तविक कीमत और घटकर 1.34 अरब डॉलर रह गई है।

भारतीय समूह ने मिराच पर उससे फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया था। यह विवाद बैंक ऑफ अमेरिका (बीओएफए) के एक फर्जी पत्र को लेकर शुरू हुआ। इसे सौदे की गारंटी के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था। बीते गुरुवार को ही बीओएफए ने साफ कर दिया था कि उसका इस सौदे से लेनादेना नहीं है। 

इसी के बाद धोखाधड़ी की बात सामने आई थी। भारतीय मूल के सारांश शर्मा के नेतृत्व वाली मिराच ने पलटवार करते हुए सहारा समूह पर आरोप लगाए थे। उसका कहना था कि जमानत के लिए अदालत की शर्त के बावजूद सहारा हमेशा से ही इन संपत्तियों की बिक्री करने का अनिच्छुक रहा है। यह भी दावा किया कि भारतीय समूह ने खुद ही सौदे से पल्ला झाड़ा। बीते शनिवार को अमेरिकी कंपनी ने भारतीय समूह को सख्त चेतावनी दी। 

छवि धूमिल करने के लिए उसने समूह से माफी मांगने को कहा। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की हिदायत दी। करार की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए बतौर हर्जाना 1.30 करोड़ डॉलर की भी मांग की।

 

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