
मुंबई : अनिल अंबानी की रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) और एयरसेल ने आपस में विलय की बुधवार को घोषणा कर दी। देश में दूरसंचार क्षेत्र के सबसे बड़े विलय सौदे के साथ ही टेलीकॉम कंपनियों के बीच महागठबंधन का भी आगाज हो गया है।
इसी महीने बड़े भाई मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो की मोबाइल सेवा लांच होने के बाद दूरसंचार क्षेत्र से यह बड़ी खबर सामने आई है। जानकारों का मानना है कि जियो की आक्रामक लांचिंग के बाद दूरसंचार क्षेत्र में तेज हुई प्रतिस्पर्धा इस विलय के बाद और प्रतिस्पर्धा बढ़ने के आसार हैं।
आरकॉम और एयरसेल के बोर्ड ने वायरलेस कारोबार को मिलाने पर सहमति जताई है। विलय के बाद बनने वाली कंपनी को कोई नया नाम दिया जा सकता है। आरकॉम और मलेशिया की मैक्सिस कम्यूनिकेशंस बर्हाड (एमसीबी) की इस साझा कंपनी में 50-50 फीसद की हिस्सेदारी होगी।
इसी तरह दोनों कंपनियों की निदेशक बोर्ड में भी समान भागीदारी होगी। फिलहाल एयरसेल में एमसीबी की मेजॉरिटी हिस्सेदारी है।
जियो की लांचिंग के बाद आरकॉम का एयरसेल से विलय की चर्चा शुरू हो गई थी। अगस्त में ही दोनों कंपनियों के बीच विलय की शतोर् के बारे में दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा चुका था। दोनों कंपनी के कारोबार के विलय को लेकर पक्का समझौता भी पहले तय समय सीमा के मुताबिक ही अंजाम दिया गया। तकनीकी तौर पर कारोबारी विलय को पूरा होने में चार से छह महीने का समय लग सकता है।
विलय के बाद
तीसरी सबसे बड़ी कंपनी : ग्राहकों के आधार पर देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी अस्तित्व में आएगी। इस नई टेलीकॉम कंपनी के पास 19.4 करोड़ ग्राहक होंगे। अभी रिलायंस कम्यूनिकेशंस के पास 11 करोड़ ग्राहक हैं। एयरसेल के ग्राहकों की संख्या 8.4 करोड़ है।
स्पेक्ट्रम में दूसरे नंबर पर : नई कंपनी के पास सभी 22 सर्किलों में स्पेक्ट्रम होगा। स्पेक्ट्रम लिहाज से यह दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन जाएगी। उसके पास कंपनी के पास 850, 900, 1800 और 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड में कुल 448 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम होगा।
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