
नई दिल्ली : दशकों से फरवरी के अंतिम दिन आम बजट पेश होता आया है। लेकिन अब इस परंपरा पर विराम लग सकता है। सरकार इसे एक माह पहले यानी जनवरी के अंत में पेश करने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से पहले सारी बजट प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।
वित्त मंत्रालय समूची बजट प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव कर रहा है। इसके तहत वर्तमान में रेल व आम बजट को अलग-अलग पेश करने की व्यवस्था खत्म होगी। बजट दस्तावेज भी पतला हो सकता है। चूंकि जीएसटी लागू होने का रास्ता साफ हो चुका है, लिहाजा बजट दस्तावेज में उत्पाद शुल्क, सेवा कर व उपकरों का ब्योरा देने की जरूरत नहीं रहेगी। योजना व गैर-योजना व्यय के अंतर को भी खत्म करके पूंजीगत व राजस्व व्यय के रूप में पेश किया जाएगा।
क्या है सरकार की मंशा
सूत्रों के मुताबिक, सरकार चाहती है कि हर साल 31 मार्च तक बजट प्रक्रिया खत्म हो। अभी यह दो चरणों में होती है। फरवरी अंत में बजट पेश होता है और मई मध्य तक मंजूरी के बाद यह प्रक्रिया पूर्ण होती है।
वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है। वैसे, संविधान में बजट पेश करने की कोई तारीख तय नहीं है। सरकार मार्च में दो से तीन माह के खर्च की पर्याप्त राशि का लेखानुदान पारित कराती है। जबकि मांग व विनियोग विधेयक अप्रैल/मई में पारित होता है। इसमें पूरे साल के खर्च के साथ करों में बदलाव का लेखा-जोखा होता है।
क्या होगा फायदा
वित्त मंत्रालय का विचार है कि अगर बजट प्रक्रिया जल्दी शुरू होती है तो लेखानुदान पारित कराने की जरूरत नहीं होगी। पूरा बजट एक ही चरण में 31 मार्च से पहले पारित हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, बजट जनवरी के अंतिम सप्ताह, खासतौर से 31 जनवरी को पेश करने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। इसी के अनुरूप राजस्व विभाग भी विभिन्न मंत्रालयों के साथ बजट पूर्व बैठकें सितंबर में ही शुरू करने पर विचार कर रहा है। अभी ये बैठकें नवंबर/दिसंबर में होती हैं।
Leave a comment