GST बिल के लिए संविधान में संशोधन होगा आज

GST बिल के लिए संविधान में संशोधन होगा आज

नई दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को लाए जा रहे जिस बिल को सरल और सीधी भाषा में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) बिल कहा जा रहा है वह असल में जीसएसटी बिल नहीं है बल्कि एक संविधान संशोधन बिल है, जो असल में जीएसटी बिल का रास्ता साफ करेगा।

चूंकि यह संविधान संशोधन कानून है इसलिये संसद से पास होने के बाद इस कानून को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना ज़रूरी है। इसके बाद ही केंद्र असल जीएसटी कानून लागू करा पाएगा।

बुधवार को इस संविधान संशोधन बिल की मदद से केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े कानूनों को बनाने के अधिकार को समवर्ती अधिकारों की सूची में ला रही है यानी केंद्र एक ऐसा कानून बना सकता है जिसे बनाने का अधिकार अब तक उसके पास नहीं था और राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों का बंटवारा था। मिसाल के तौर पर सेल्स टैक्स की दर जिस तय करना राज्य सरकार का अधिकार है - अब केंद्र सरकार उसे तय करेगी। 

जीएसटी कानून लागू होने से राज्यों और केंद्र की ओर से लगाये जाने वाले कई अप्रत्यक्ष टैक्स खत्म हो जाएंगे और करों में एक समानता रहेगी। अभी तमाम टैक्सों की वजह से किसी भी प्रोडक्ट पर कुल 25 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता है, लेकिन अब जीएसटी आने के बाद प्रभावी टैक्स को 18-22% तक सीमित करने की बात है। कांग्रेस की प्रमुख मांगों में से एक है कि जीएसटी की दर को 18% पर सीमित किया जाए। औद्योगिक रूप से विकसित तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को जीएसटी बिल के पास होने के बाद घाटा उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई के लिये फिलहाल केंद्र ने भरोसा दिया है।

जीएसटी बिल के पास होने से हाइवे पर दिखने वाली तमाम चुंगियां खत्म हो जाएंगी लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ेगी। इसलिए टैक्स के ढांचे में यह क्रांतिकारी बदलाव राजनीतिक रूप से मोदी सरकार के लिए परीक्षा भी है। खासकर अगले साल होने वाले पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे महत्वपूर्ण चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए महंगाई एक बड़ा सिरदर्द रहेगा। इसी मुश्किल को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने अभी पेट्रोलियम पदार्थों को इस बिल से बाहर किया है ताकि महंगाई पर काबू रखा जा सके।

इस कानून में सबसे बड़ी अड़चन उत्पादन करने वाले राज्यों को होने वाला नुकसान रहा है। राज्यों को मनाने के लिये ही सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल के साथ शराब जिससे काफी राजस्व इकट्ठा होता है- को इस बिल की परिधि से फिलहाल बाहर रखा है। राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी बिल में प्रावधान लाया गया है।

जीएसटी कानून बनने की प्रक्रिया को इस मकाम तक पहुंचने में करीब 10 साल लगे हैं। वित्तमंत्री कहते रहे हैं कि इस बिल के लागू होने से जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। जानकार कहते हैं कि पहले कुछ वक्त में महंगाई भले ही दिखे लेकिन लंबी दौड़ में जीएसटी एक बड़ा कर सुधार कानून साबित होगा जो काले धन को काबू करने में मदद करेगा।

उधर, कांग्रेस ने कहा कि लंबे समय से लंबित पड़ा यह विधेयक पारित हो जाएगा, बशर्ते कोई बाधा न आए। संसद भवन के बाहर कांग्रेस के सांसद अभिषेक मनुसिंघवी ने मीडिया से कहा, अगर कोई बाधा नहीं है, जीएसटी विधेयक को कल (बुधवार ) को मंजूरी दे दी जाएगी।

वहीं जीएसटी बिल को लेकर सीपीएम ने अपनी रणनीति का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. पार्टी ने कहा कि बिल से सदन के पटल पर निपटा जाएगा। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि राज्यसभा में जो बिल पेश किया जा रहा है वह संविधान संशोधन विधेयक है, जो सदन में जीएसटी बिल पर विचार करने के सक्षम बनाएगा। जब जीएसटी बिल आएगा तब हम देखेंगे। साथ ही येचुरी ने वित्तमंत्री से हुई मुलाक़ात का ज़िक्र करते हुए कहा कि संविधान संशोधन विधेयक से संबधित कुछ मुद्दों पर बात हुई है।

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