भारत की वृद्धि को वैश्विक मांग में नरमी से चुनौती मिल सकती है

भारत की वृद्धि को वैश्विक मांग में नरमी से चुनौती मिल सकती है

भारत की वृद्धि दर को आने वाले समय में वैश्विक मांग में नरमी, उंचा कापरेरेट ऋण और ऋण आपूर्ति में नरमी से चुनौती मिलेगी। यह बात आज मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कही। एजेंसी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण और वस्तु एवं सेवा कर विधेयक अटका हुआ है जिससे स्पष्ट है कि राजनीतिक टकराव के कारण सुधार प्रक्रिया असमान और धीमी रहेगी। मूडीज ने भारत के भीतर रिपोर्ट में कहा, 2016 में वैश्विक माहौल में अनिश्चितता के बीच घरेलू राजनीतिक घटनाक्रम से बाजार का रूझान उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है। एजेंसी को हालांकि, उम्मीद है कि भारत की मध्यम अवधि की संभावना को लक्षित नीतिगत सुधार के धीरे-धीरे कार्यान्वयन, कारोबार माहौल में सुधार, बुनियादी ढांचे की स्थिति और उत्पादकता वृद्धि से समर्थन मिलेगा।

मूडीज की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रबंधक मारी दिरों ने कहा, कुछ बड़ी कंपनियों पर भारी-भरकम ऋण से वृद्धि बुरी तरह प्रभावित होगी जिससे ऋण मांग पर भी असर होगा। जबकि बैंकिंग प्रणाली का एनपीए ऋण आपूर्ति को प्रभावित करेगा।

 

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