
बैंकों द्वारा किए गए अग्रिम कर भुगतान के आंकड़ों के आधार पर एसोचैम ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में भी बैंकों का प्रदर्शन खराब रहेगा तथा उनके एनपीए में बढ़ोतरी होगी। इस्पात, कपड़ा तथा एल्यूमीनियम जैसे कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों में मंदी तथा रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) के मद्देनजर बैंकों की जोखिम वाली परिसंपत्ति का आंकड़ा 10 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच सकता है। उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2015 के अंत तक जोखिम वाली परिसंपत्ति, जिसमें गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) तथा पुनर्गठित ऋण शामिल हैं, आठ लाख करोड़ रुपए थी। गत 31 मार्च को समाप्त तिमाही में इसके बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच जाने की आशंका है। अनुमान के अनुसार, एक्यूआर के तहत तिमाही के दौरान बैंकों ने एक लाख रुपए के एनपीए की पहचान की है जो उनके बैलेंसशीट का संतुलन बिगाड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2011 में बैंकों की जोखिम में फंसी परिसंपत्ति 2.33 लाख करोड़ थी जो मार्च 2015 में दो गुणा बढ़कर 7.40 लाख करोड़ पर पहुंच गई। मार्च 2015 से दिसंबर 2015 के दौरान सकल एनपीए 298641 करोड़ से बढ़कर 401590 करोड़ रुपए हो गई। इस दौरान सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 267065 करोड़ रुपए (5.43 प्रतिशत) से बढ़कर 361731 करोड़ रुपए (7.30 प्रतिशत) पर पहुंच गया जबकि निजी बैंकों का एनपीए 31576 करोड़ रुपए (2.20 प्रतिशत) से बढ़कर 39859 करोड़ रुपए (2.36 प्रतिशत) हो गया।
चौथी तिमाही में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 690 करोड़ रुपए का अग्रिम कर जमा कराया है जबकि 2014-15 की समान तिमाही में उसने 1749 करोड़ रुपए का कर जमा कराया था। इसी से जाहिर होता है कि बैंक मुनाफे में बड़ी गिरावट की संभावना देख रहा है। खुद एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्या यह स्वीकार कर चुकी हैं कि चौथी तिमाही में बैंक का मुनाफा और कम होगा तथा एनपीए बढ़ेगा। तीसरी तिमाही में 11 सरकारी बैंकों का नुकसान हुआ था। उनका कुल नुकसान 12867 करोड़ रुपए रहा था। सबसे ज्यादा 3342 करोड़ रुपए का घाटा बैंक ऑफ बड़ौदा को हुआ था। यह किसी भी सार्वजनिक बैंक का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है। आईडीबीआई बैंक को 2184 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया को 1505 करोड़, यूको बैंक को 1497 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक को 1425 करोड़, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 837 करोड़, देना बैंक को 663 करोड़, इलाहाबाद बैंक को 486 करोड़, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 425 करोड़, कॉर्पोरेशन बैंक को 383 करोड़ तथा सिंडीकेट बैंक को 120 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
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