
चीनी के सस्ते दामों की वजह से जहां इस साल ग्राहक काफी खुश रहे, वहीं किसानों के लिए ये मुसीबत भरा सफर साबित हुआ। जिसके कारण अब किसान गन्नेे की जगह दूसरी फसल की ओर रुख कर रहे है। जिससे साफ है कि अगले साल में चीनी के दाम बढ जाएंगे। इस बात का खुलासा उद्योग संगठन एसोचैम की एक रिपोर्ट में हुआ है। उद्योग संगठन एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल चीनी के दाम काफी कम रहे है। जिससे किसानों को उनकी लागत निकालना मुश्किसल हो गया और उन पर कर्ज का बोझ लद गया। जिसके कारण वे काफी परेशान रहे। इसके अलावा किसानों के बकाए का भुगतान भी नहीं होना इसका एक बड़ा कारण है।ऐसे में अब उन्हों ने रास्ता निकाला और गन्ने की फसल बजाय दूसरी फसल की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे यह बात सामने आई है कि आने वाले 12 महीने में चीनी उत्पादन घट सकता। जिसका असर साफ दिखेगा।
अभी चालू चीनी सत्र में दो करोड़ 70 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं 2014-15 में चीनी का उत्पादन दो करोड़ 83 लाख टन पर पहुंचा था।जबकि पिछले महीने जुलाई में इस मौसम के लिए दो करोड़ 80 लाख टन उत्पादन की उम्मीमद जताई गई थी। यानी की वर्तमान में 10 लाख टन की गिरने के आसार हैं। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू स्तिथी में चीनी का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वहीं गिरते घरेलू उत्पादन के बीच आक्रमक चीनी निर्यात नीति से अगले साल गर्मियों तक चीनी की घरेलू कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि कहीं न कहीं मानसून भी इसके लिए जिम्मेादार है। खराब मानसून के कारण महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में चीनी उत्पाादन काफी तेजी से नीचे गिरा है। हालांकि चालू उद्योग संगठन ने यह साफ कर दिया है कि अभी चालू सत्र में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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