
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में दाल की कीमतों में कमी आई है। जमाखोरों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई और नई फसल आने से दाम और कम होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के सत्ता संभालने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी पर आ गई है। जेटली ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर में पिछले डेढ़ साल में कमी आई है। कई जिंसों के दाम कम हुए हैं। पर कुछ उत्पाद ऐसे हैं, जिनकी देश के अंदर और विदेशी बाजारों में भी आवक कम है। उन्होंने कहा कि देश में 2.2 करोड़ टन दालों की आवश्यकता है। पर कुल पैदावार 1.7 करोड़ टन है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जिन देशों से हम दाल आयात करते हैं। उनमें से ज्यादातर में उत्पादन कम रहा है। कुछ व्यापारियों ने इसका फायदा उठाकर दालों की जमाखोरी कर ली, जिससे कीमतों में तेजी आई। राज्य सरकारों ने भी जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की। त्यौहार के मौसम में दाल और खाद्य तेलों के दाम न बढ़ें, इसके लिए वित्त मंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक कर कीमतों की समीक्षा की। सरकार की कोशिशों के बावजूद दाल के दाम औसतन 20 रुपए प्रति किलो तक कम हुए हैं। साथ ही जमाखोरों से जब्त दाल को जल्द खुदरा बाजार में लाने पर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि त्योहारों में जरूरी चीजों के दाम नहीं बढ़ें। बैठक में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव और कैबिनेट सचिव सहित खाद्य, उपभोक्ता मामले व वाणिज्य मंत्रालयों के सचिव मौजूद थे।
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