खुशखबरी: बाजार में फिर लौटी मैगी

खुशखबरी: बाजार में फिर लौटी मैगी

नेस्ले ने बम्बई उच्च न्यायालय के अदेशानुसार अपने नये उत्पादन में से नमूने परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त तीन प्रयोगशाला में भेजेगी। इसके पूर्व मैगी उत्पाद में कुछ प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान निर्धारित मात्रा से अधिक सीसा और एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लुटामेट) निर्धारित सीमा से अधिक पाये गये। इस कारण इसका उत्पादन रोकना पड़ा था। नेस्ले प्रवक्ता का कहना है कि हम बम्बई उच्च न्यायालय के द्वारा सुझाये गये मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजेगे। उनकी रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही हम अपने नये मैगी उत्पाद को बाजार में भेजेंगे। प्रवक्ता ने कहा है कि हमने आदेशनुसार हमारे तीन संयंत्रो में उत्पादन शुरू कर दिया है।

पूर्व विवाद:- पूर्व में मैगी अपने रेपर पर यह दावा करती थी कि उसके उत्पाद में शीशे के मात्रा 2.5 पीपीएम होती है, लेकिन जब बाजार से मैगी के सेम्पल लेकर इनका परीक्षण कराया गया तो उसमे शीशे की मात्रा का 17 के स्तर पर पाई गयी थी। इसकी शुरूआत फूड एण्ड सेफ्टी ऑफिसर वी. के. पांडे बाजार से मैगी का पैकेट खरीदकर उसकी जांच की जिसमें लेड खतरनाक स्तर पर पाया गया। होली बाद भी इसकी जांच की गयी फिर इन जांच के नमूनों को गोरखपुर एंव कोलकत्ता भेजा गया। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद बाराबंकी खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन से इस मामले में कम्पनी पर केस चलाने की अनुमति मांगी जिसे तत्काल मंजूरी प्रदान की गई। इसके उपरान्त इसका विज्ञापन करने वालो पर भी अलग-अलग थानो में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इन सब के विरोध में कम्पनी ने अपनी सफाई में यह कहा था कि नूडल्स में केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न ग्लूटामेटी है। इसमें किसी तरह का कोई अन्य रू इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो कि अनुमति स्तर पर एक प्रतिशत ही है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने तब कहा था कि अगर मैगी की गुणवता खराब पाई गई तो कड़ी कार्यवाही करेगे, साथ ही जरूरत पड़ी तो इनका विज्ञापन करने वालो पर भी कार्यवाही हो सकती है।

 

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