खाने के तेल पर बढ़ाई गई इंपोर्ट ड्यूटी

खाने के तेल पर बढ़ाई गई इंपोर्ट ड्यूटी

सरकार ने खाने के तेल और खाने के कच्चे तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है। खाने के कच्चे तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी से बढ़कर 12.5 फीसदी हो गई है। वहीं रिफाइंड ऑयल पर भी इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गई है। यानी रिफाइंड ऑयल और रिफाइंड क्रूड ऑयल दोनों पर इंपोर्ट ड्यूटी 5-5 फीसदी बढ़ा दी गई है। आपको बता दें कि सीएनबीसी-आवाज़ ने सबसे पहले आपको खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की खबर दी थी। इस फैसले के बाद रिफाइंड ऑयल का इंपोर्ट महंगा हो गया है। घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है। इंडस्ट्री की क्रूड ऑयल पर ड्यूटी बढ़ाकर 25 फीसदी करने की मांग थी और रिफाइंड ऑयल पर ड्यूटी 15 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी करने की मांग थी। भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और कच्चे तेल, सोने के बाद भारत में सबसे ज्यादा इंपोर्ट खाद्य तेल का ही होता है। भारत अपनी कुल जरूरतों का आधा से ज्यादा खाद्य तेल इंपोर्ट करता है। इस साल खाद्य तेल का इंपोर्ट 14 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।

पिछले 1.5 साल में कच्चे तेल की इंपोर्ट की कीमतों में 35 फीसदी की गिरावट आ चुकी है जबकि रिफाइंड ऑयल के इंपोर्ट में तो 45 फीसदी की कमी आ चुकी है। इसके चलते इन एडिबल ऑयल का इंपोर्ट करना काफी सस्ता हो गया था और इससे घरेलू खाने के तेल की इंडस्ट्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इंपोर्टेड तेल सस्ता होने के चलते घरेलू तेल इंडस्ट्री इतनी सस्ती कीमत पर तेल का उत्पादन नहीं कर पा रही थी और इसके चलते घरेलू तेल इंडस्ट्री का उत्पादन क्षमता से 20-30 फीसदी कम हो रहा था। हालांकि इससे कंज्यूमर को कोई फायदा नहीं होगा लेकिन इंडस्टी और किसानों के लिए ये काफी फायदे की खबर है। इस खबर के बाद खाने के तेल वाली कंपनियों के शेयर में 5-5 फीसदी की तेजी देखी जा रही है। 

गोदरेज कंज्यूमर प्रोडेक्ट्स के चेयरमैन अदि गोदरेज का कहना है कि खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ना इंडस्ट्री और किसानों के लिए काफी अच्छी खबर है। इससे घरेलू तेल इंडस्ट्री के लिए अपना माल बेचना आसान होगा जो मुश्किल हो रहा था। हालांकि गोदरेज कंज्यूमर के ऊपर इस खबर का कोई निगेटिव असर नहीं होगा लेकिन भारत की इकोनॉमी को फायदा होगा। इससे भारतीय किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर दाम मिल पाएगा।

 

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