
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने मंगलवार को कहा कि कच्चे तेल की कीमत में गिरावट की मदद से भारत के चालू खाते का घाटा (कैड) निम्न स्तर पर बना रहेगा लेकिन औद्योगिक उत्पादन और निवेश की वृद्धि दर में सुधार की गति धीमी होने के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी तक सीमित रहेगी। मूडीज ने वैश्विक वृद्धि में नरमी का हवाला देते हुए एशिया प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र के कई देशों के लिए वृद्धि का अनुमान कम कर दिया है। चीन में मांग अधिक कमजोर होने से वैश्विक नरमी और गहराई है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, हमने 2015 के लिए भारत के लिए भी अपना अनुमान 7.5 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी और 2016 के लिए 7.6 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया है क्योंकि संकेतकों से जाहिर है कि औद्योगिक उत्पादन में सुधार तथा निवेश की वृद्धि धीमी है और बैंक ऋण की वृद्धि दर अब भी कम है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जून की तिमाही में सात प्रतिशत रही। सरकार को उम्मीद है कि मार्च 2016 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8 से 8.5 फीसदी रहेगी। एजेंसी ने कहा कि इस क्षेत्र की कई अर्थव्यवस्थाओं को कच्चे तेल में नरमी के कारण अपना चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिली है।
मूडीज ने कहा कि भारत का चालू खाते का घाटा काफी कम हुआ है और यह 2014 में घटकर 1.4 फीसदी रह गया जो 2012 में 4.8 फीसदी था। एजेंसी ने कहा, हमें यह रुझान बरकरार रहने की उम्मीद है और कच्चे तेल के आयात की लागत कम होने से इसमें मदद मिलेगी। किसी अवधि विशेष में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और खर्च के बीच का अंतर चालू खाते का घाटा कहलाता है। कच्चे तेल की कीमत पिछले एक साल में करीब 60 फीसदी घटकर करीब 45-46 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है।
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