एनपीए बढ़ाने में पिछली सरकार भी है जिम्मेदार: वित्त मंत्री

एनपीए बढ़ाने में पिछली सरकार भी है जिम्मेदार: वित्त मंत्री

बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) बढ़ाने में पिछली संप्रग सरकार की नीतियां भी जिम्मेदार है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सरकारी बैंकों की एनपीए अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गई है। सरकार ने उनकी सेहत सुधारने के लिए प्रयास शुरू कर दिए है। वित्त मंत्री ने कहा कि एनपीए जिस स्तर पर पहुंची हैं वह कुछ हद तक गलत निर्णय और अकर्मण्यता की वजह से है, जबकि कुछ हद तक अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में चुनौतियों की वजह से है। ऐसे क्षेत्रों में एनपीए का स्तर काफी अधिक है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने बैंकों की सेहत सुधारने और एनपीए को नीचे लाने के प्रयास शुरू कर दिए है। सरकार बैंकों में पूंजी बढ़ा रही है, बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर धनराशि जुटाई जा रही है और अर्थव्यवस्था के जो क्षेत्र संकट में फंसे हैं उन्हें उबारने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले वित्त वर्ष में 31 मार्च की स्थिति के अनुसार सरकारी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज 2.67 लाख करोड़ रुपये है, जो पूरे बैंकिंग क्षेत्र के कुल एनपीए 3.09 लाख करोड़ रुपये का 86 प्रतिशत है। जेटली ने कहा कि बैंक प्रमुख के पद पर निजी क्षेत्र सहित सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा का चयन करने की प्रणाली से सरकारी बैंकों के प्रदर्शन में सुधार आएगा। सरकारी बैंक अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है। इन बैंकों का प्रशासन भले ही सरकार संभाल रही हो, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सरकार किसी को भी नियुक्त कर दे। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकिंग तंत्र में तेजी से विस्तार हो रहा है। बैंकों की सेहत अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को दर्शाती है। एक ओर तो हम बैंकों के विस्तार पर संतोष प्रकट कर सकते हैं। दूसरी ओर अब भी हमें काफी कुछ करना है। प्रौद्योगिकी बैंकिंग सेवा को समाज के हर कोने तक ले जाएगी। बैंकिंग सेवाओं को आगे बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका होगी। इंडियन बैंक के फाउंडेशन डे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की जन धन योजना को सफल बनाने में सरकारी बैंक के कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई है। जब यह योजना शुरू हुई थी तो कुछ ही खातों में धनराशि थी, लेकिन अब ऐसे खातों की संख्या काफी बढ़ गई है।  

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