
क्रूड में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है और गौर करने वाली बात यह कि इस गिरावट को बाजार विशेषज्ञ आम नहीं मान रहे है। फिलहाल नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड 1 फीसदी फिसलकर 41 डॉलर प्रति बैरल के नीचे कारोबार कर रहा है। इसके अलावा ब्रेंट क्रूड का भाव 46 डॉलर प्रति बैरल के आसपास नजर आ रहा है। कच्चे तेल में आई इस ऐतिहासिक गिरावट भारतीय ग्राहकों के लिए अच्छी खबर हो सकती है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की उम्मीद बढ़ गई है। शुक्रवार को वैश्विक शेयर बाजार की मंदी और चीनी असर ने और ज्यादा चिंता की लकीरें खींच दी है। इसी के साथ दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा तेल की खपत करने वाले की ओर से डिमांड का कम होना खतरे की घंटी है।
1985 के बाद तेल की कीमतों में यह सबसे बड़ी गिरावट है। उस वक्त 30 डॉरल से 10 डॉलर की गिरावट दर्ज हुई थी जिसे काबू में करने के लिए ओपेक देशों ने नॉन-ओपेक देशों के तालमेल करके हालात सकारात्मक किए थे। अक्टूबर के लिए यूएस क्रूड 59 सेंट्स के निचले स्तर पर 40.73 डॉलर प्रति बैरल, सितंबर का कॉन्ट्रेक्ट जो कि बीते दिन गुरुवार को खत्म हुआ 34 सेंट्स ज्यादा था। शुक्रवार को 40.21 डॉलर प्रति बैरल सबसे निचला स्तर है। यूएस इस बात पर आश्वस्त है कि उत्पादन जल्दी रफ्तार पकड़ेगा और एक साल के भीतर 65-70 डॉलर प्रति बैरल तक उछाल दर्ज करेगा
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