भारत से पंगा लेने की सोच रहा था बांग्लादेश, ट्रंप के फैसले ने उसकी उम्मीदों पर फेर दिया पानी

भारत से पंगा लेने की सोच रहा था बांग्लादेश, ट्रंप के फैसले ने उसकी उम्मीदों पर फेर दिया पानी

Donald trump Import Tariff Bangladesh: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इंपोर्ट टैरिफ फैसले से वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है। खासकर बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री के लिए यह एक गंभीर संकट बन सकता है। बांग्लादेश अमेरिका को बड़े पैमाने पर कपड़े सप्लाई करता है। अब ट्रंप के इस फैसले से उसे आर्थिक रूप से बड़ा झटका लग सकता है। वहीं, भारत के लिए इस फैसले से नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री पर गंभीर असर

ट्रंप के अनुसार, अमेरिका अब दूसरे देशों से आने वाले सामान पर टैरिफ और टैक्स लगाएगा। बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री, जो अमेरिका को सबसे बड़ा बाजार मानती है, इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होगी। 2022में बांग्लादेश ने अमेरिका को 11.7बिलियन डॉलर का गारमेंट एक्सपोर्ट किया था। इस फैसले के बाद गारमेंट फैक्ट्रियों में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।

बांग्लादेश की निर्यात पर निर्भरता

बांग्लादेश का अमेरिका को निर्यात हर साल 15प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 2017में 5.84बिलियन डॉलर का निर्यात करने वाला बांग्लादेश, 2022में यह आंकड़ा बढ़कर 11.7बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। गारमेंट, स्वेटर और सूट फैब्रिक्स के निर्यात में बांग्लादेश की बड़ी हिस्सेदारी है। लेकिन ट्रंप के नए फैसले से यह बढ़ोतरी रुक सकती है और कुछ फैक्ट्रियों को बंद होने की स्थिति भी आ सकती है।

भारत के लिए अवसर के दरवाजे खुले

भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर हो सकता है। ट्रंप के टैरिफ फैसले के बाद, भारत के पास अमेरिका के लिए गारमेंट का वैकल्पिक सप्लायर बनने का मौका है। भारत की गारमेंट इंडस्ट्री को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी। साथ ही, अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

ग्लोबल मार्केट में नई चुनौतियां और संभावनाएं

ट्रंप के इंपोर्ट टैरिफ फैसले ने ग्लोबल मार्केट में नई चुनौतियां और संभावनाएं पैदा की हैं। बांग्लादेश को अपनी गारमेंट इंडस्ट्री के लिए नई रणनीति बनानी होगी। वहीं, भारत को इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस फैसले का असर लंबे समय तक वैश्विक व्यापार पर दिखाई देगा और देशों को अपनी रणनीतियां तैयार करनी होंगी।

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