
Tarique Rahman Return Bangladesh:बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद पूरे देश में हिंसा जारी है। इस बीच, राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है, जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद अपने देश लौट आए हैं। यह वापसी न केवल उनके लिए व्यक्तिगत जीत है, बल्कि बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकती है। तारिक, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के पुत्र हैं और पार्टी के राजनीतिक वारिस माने जाते हैं। उनकी वापसी को लेकर विवाद इसलिए है क्योंकि उन्होंने 2008 में देश छोड़ते समय एक लिखित प्रतिज्ञा दी थी कि वे राजनीति से दूर रहेंगे। तो चलिए जानते है कि 17 साल पहले ऐसा क्या हुआ था और यह वापसी क्यों 'सबसे बड़ी कसम' तोड़ने के रूप में देखी जा रही है।
17 साल पहले क्या हुआ था?
दरअसल, साल 2007 में बांग्लादेश में सैन्य समर्थित केयरटेकर सरकार ने सत्ता संभाली थी। उस समय तारिक रहमान पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। उन्हें 18 महीने जेल में रखा गया, जहां कथित तौर पर उन्हें यातनाएं भी दी गईं। इन यातनाओं से उनकी सेहत बिगड़ गई, जिस वजह से उन्हें चिकित्सा उपचार की जरूरत पड़ी। 11 सितंबर 2008 को उन्हें जेल से रिहा किया गया, लेकिन इसके बदले में उन्होंने सेना को एक लिखित आश्वासन दिया कि वे राजनीति से दूर रहेंगे। यह 'बॉन्ड' या प्रतिज्ञा उनके निर्वासन की शर्त थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बाद में कहा था कि तारिक ने देश छोड़ते समय यह बॉन्ड दिया था कि वे अब राजनीति नहीं करेंगे। रिहाई के बाद वे अपनी पत्नी और बेटी के साथ यूनाइटेड किंगडम चले गए।
उस समय बीएनपी की सरकार (2001-2006) में तारिक को खालिदा जिया का उत्तराधिकारी माना जाता था। वे पार्टी के मुख्यालय 'हावा भवन' से असीमित शक्ति का इस्तेमाल करते थे, लेकिन उन पर भ्रष्टाचार और आतंक से जुड़ी हिंसा में संलिप्तता के आरोप थे। 2004 में अवामी लीग की रैली पर ग्रेनेड हमले में 24 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें तारिक को दोषी ठहराया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। ये सभी मामले उनके निर्वासन के दौरान उनके खिलाफ चले।
लंदन से पार्टी का नेतृत्व
लंदन में रहते हुए तारिक ने बीएनपी का नेतृत्व जारी रखा, हालांकि वे शारीरिक रूप से देश से दूर थे। उन्होंने 2012 में राजनीतिक शरण मांगी, जो 2013 में मिली। शेख हसीना की 15 साल की सरकार के दौरान वे बांग्लादेश नहीं लौट सके, क्योंकि उनके खिलाफ कई मुकदमे लंबित थे। बीएनपी ने हमेशा इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया। 2024 में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की सरकार गिर गई, जिसके बाद तारिक के सभी मुकदमे रद्द कर दिए गए, जिसमें 2004 का ग्रेनेड हमला मामला भी शामिल था। इसने उनकी वापसी का रास्ता साफ कर दिया।
कसम तोड़कर की वापसी
25 दिसंबर को तारिक रहमान ढाका लौटे, जहां हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। उनकी पत्नी जुबैदा और बेटी जैमा भी साथ थीं। यह वापसी इसलिए विवादास्पद है क्योंकि यह 2008 की उस प्रतिज्ञा का उल्लंघन मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने राजनीति से दूर रहने का वादा किया था। बीएनपी ने कभी इस बॉन्ड की पुष्टि नहीं की, लेकिन अफवाहें हमेशा रहीं। अब, फरवरी 2026 के चुनावों से पहले उनकी वापसी बीएनपी को मजबूत कर रही है। ओपिनियन पोल में बीएनपी आगे है, खासकर जब अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा है।
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