भारत के लिए मौका या खतरा? क्या PAK के परमाणु परीक्षण को जवाब में मिलेगा हाइड्रोजन बम

भारत के लिए मौका या खतरा? क्या PAK के परमाणु परीक्षण को जवाब में मिलेगा हाइड्रोजन बम

India-Pakistan Nuclear Tension:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हालिया बयान दक्षिण एशिया के परमाणु समीकरण को हिला देने वाला साबित हो रहा है। हाल ही में दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने पाकिस्तान, चीन, रूस और उत्तर कोरिया पर गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहे होने का आरोप लगाया। लेकिन यह दावा भारत के लिए दोहरी तलवार है, जहां एक तरफ पाकिस्तान की कथित परमाणु उन्नति पर चिंता है, तो वहीं, दूसरी तरफ हाइड्रोजन बम (थर्मोन्यूक्लियर) परीक्षण के लिए 'पोखरण-3' का मौका। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है, खासकर जब भारत 'नो फर्स्ट यूज' नीति पर कायम है।

ट्रंप का बयान

बता दें, ट्रंप ने कहा 'हम परीक्षण करेंगे क्योंकि वे परीक्षण कर रहे हैं। नॉर्थ कोरिया तो खुलेआम कर रहा है, पाकिस्तान भी।" उन्होंने दावा किया कि ये देश भूमिगत परीक्षण इतने गहराई पर करते हैं कि वैश्विक निगरानी प्रणालियां उन्हें पकड़ नहीं पातीं सिर्फ हल्की कंपन महसूस होती है। यह बयान अमेरिका के अक्टूबर 2025 के फैसले के बाद आया, जब ट्रंप ने नेवाडा टेस्ट साइट पर सबक्रिटिकल और संभवतः पूर्ण-उपज वाले परीक्षणों को मंजूरी दी।

पाकिस्तान ने 1998 के चागई-I परीक्षणों के बाद कोई आधिकारिक परीक्षण नहीं किया, लेकिन ट्रंप का आरोप इस्लामाबाद की परमाणु महत्वाकांक्षा पर सवाल उठाता है। अनुमान है कि पाकिस्तान के पास 170 वारहेड्स हैं, जो 2028 तक 200 तक पहुंच सकते हैं, जिसमें टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स शामिल हैं। चीन के 600 वारहेड्स (2030 तक 1,000) और फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम (FOBS) जैसी तकनीकें भारत के लिए बड़ी चुनौती हैं। पूर्व पाकिस्तानी राजदूत अब्दुल बासित ने चेतावनी दी है कि ट्रंप का कदम भारत को थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण के लिए उकसा सकता है, क्योंकि 1998 के पोखरण-II में हाइड्रोजन बम की उपज पर संदेह बरकरार है।

हाइड्रोजन बम फेल क्यों माना गया?

मालूम हो कि साल 1998 के पोखरण-II में भारत ने पांच डिवाइस फोड़े, जिनमें थर्मोन्यूक्लियर बम शामिल था। आधिकारिक दावा था 58 किलोटन उपज, लेकिन वैश्विक सिस्मिक डेटा ने सिर्फ 10-15 किलोटन दिखाया। DRDO वैज्ञानिक के. संथानम ने इसे 'कम उपज वाला' बताया, जो रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा नहीं करता। पूर्व एटॉमिक एनर्जी चेयरमैन राजगोपाल चिदंबरम ने खंडन किया, लेकिन विवाद आज भी है। लेकिन ट्रंप के दावे ने इसे ताजा कर दिया। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के परीक्षण प्रतिबंध तोड़ने से भारत को हाइड्रोजन बम की विश्वसनीयता साबित करने का 'अवसर' मिला है, जो अग्नि-VI आईसीबीएम और K-5 एसएलबीएम के लिए जरूरी है।

भारत के लिए अवसर या खतरा?

ट्रंप का दावा भारत को 'परमाणु दौड़' में पीछे न छोड़ने की याद दिलाता है। पाकिस्तान की टैक्टिकल न्यूक्स भारत की 'कोल्ड स्टार्ट' सिद्धांत के खिलाफ हैं, जबकि चीन की FOBS मिसाइल डिफेंस (PDV) को चकमा दे सकती है। पोखरण-3 से भारत अपनी त्रयी (लैंड, सी, एयर) को मजबूत कर सकता है, लेकिन इससे पाकिस्तान प्रतिक्रिया देगा, शायद नास्र जैसे टैक्टिकल हथियारों से।

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