
Water tension India-Pakistan:भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने अब जल संसाधनों को भी निशाना बना लिया है। अप्रैल 2025में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ा। वहीं, अब सिडनी स्थित थिंक-टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) की ताजा 'इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट 2025' में चेतावनी दी गई है कि भारत का एक छोटा-सा तकनीकी कदम, जैसे बांधों के संचालन में मामूली बदलाव, पाकिस्तान की 80%कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान के बांधों की सीमित भंडारण क्षमता (केवल 30दिनों का पानी) के कारण यह संकट और गहरा हो सकता है।
सिंधु जल संधि निलंबित
बता दें, 1960में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि ने भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलज) के पानी का बंटवारा किया। संधि के तहत पूर्वी नदियों पर जैसे - रावी, ब्यास, सतलज पर भारत का पूरा अधिकार रहेगा। तो वहीं, पश्चिमी नदियां जैसे - सिंधु, झेलम, चेनाब पर मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित की गई। लेकिन भारत को सीमित हाइड्रोपावर और सिंचाई के लिए उपयोग की अनुमति भी दी गई।
यह संधि दोनों देशों के बीच युद्धों के बावजूद बरकरार रही, लेकिन भारत ने हमेशा पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद को इसका उल्लंघन माना। अप्रैल 2025में पहलगाम हमले (26पर्यटकों की हत्या) के बाद भारत ने संधि को 'अबेयन्स' (निलंबन) में डाल दिया, जिससे डेटा शेयरिंग, बाढ़ चेतावनियां और पानी के प्रवाह पर नियंत्रण समाप्त हो गया।
IEP रिपोर्ट 2025का खुलासा
IEP की रिपोर्ट, जो वैश्विक पर्यावरणीय जोखिमों पर आधारित है, ने पाकिस्तान को 'तीव्र जल संकट' की चेतावनी दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की 80%कृषि सिंधु बेसिन पर निर्भर करती है। लेकिन भारत का एक छोटा-सा कदम 24करोड़ आबादी का जीवनयापन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा भंडारण क्षमता को भी रेखांकित किया गया है। बांध केवल 30दिनों का पानी स्टोर कर सकते हैं; मौसमी कमी घातक साबित हो सकती है। ऐसे में पूर्ण रोकथाम असंभव है, लेकिन गर्मियों में बांध गेटों के संचालन में बदलाव से पंजाब और सिंध के घनी आबादी वाले इलाके सूख सकते हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी बात कही गई है। जिसमें सूखा, ग्लेशियर पिघलाव और बाढ़ से पहले से ही संकट; संधि निलंबन इसे तेज करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रन-ऑफ-द-रिवर बांध (जैसे चेनाब पर) पानी को पूरी तरह रोक नहीं सकते, लेकिन प्रवाह में 10-20%की कमी भी पाकिस्तान की फसल चक्र (गेहूं, चावल) को बर्बाद कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह 'जल हथियार' (water weaponization) का रूप ले सकता है, जो पारंपरिक युद्ध से भी अधिक विनाशकारी हो। इस वजह से पाकिस्तान में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी। मूडीज रिपोर्ट के अनुसार, सीमा तनाव से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ा है। पेयजल और बिजली की कमी से लाखों प्रभावित हो सकते हैं।
पहलगाम हमले के बाद भारत का तीन-चरणीय प्लान
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