
India-America Tariff War: अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयात होने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है। जिसमें 25% आधार टैरिफ और 25% अतिरिक्त जुर्माना शामिल है। यह कदम मुख्य रूप से भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर उठाया गया है, जिसे अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष समर्थन मानता है। टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो चुका है, जिसके बाद भारत के निर्यात क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस फैसले का तत्काल असर वस्त्र (टेक्सटाइल), रसायन (केमिकल) और मशीनरी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर जरूर पड़ेगा। लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह नुकसानकारी नहीं होगा
वाणिज्य मंत्रालय का बयान
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि अमेरिकी टैरिफ का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर उतना गंभीर नहीं होगा, जितना अनुमान लगाया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार, भारत का निर्यात आधार मजबूत और विविधतापूर्ण है और यह केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं है। सरकार और उद्योग के बीच निरंतर संवाद जारी है, और निर्यातकों की ओर से किसी बड़े संकट या घबराहट के संकेत नहीं मिले हैं। भारत और अमेरिका के बीच संचार चैनल खुले हैं, और दोनों पक्षों से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि सरकार प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने की रणनीति पर काम कर रही है। विशेष रूप से, निर्यातकों को चीन, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व, जापान, दक्षिण कोरिया, और यूरोप जैसे बाजारों में अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार टेक्सटाइल और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष उपायों पर विचार कर रही है, ताकि इन क्षेत्रों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता पर अधिकारियों ने बताया कि बातचीत जारी है। ऐसे में जल्द ही मामला आगे बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन अभी तक द्विपक्षीय व्यापार समझौता को लेकर औपचारिक वार्ता शुरू नहीं हुई है।
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