
Pakistan International Airlines (PIA) Sold: पाकिस्तान सरकार ने अपनी घाटे में चल रही राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की बहुमत हिस्सेदारी बेच दी है। यह सौदा 135अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 482मिलियन अमेरिकी डॉलर) में हुआ है, जिसमें एक पाकिस्तानी कंसोर्टियम ने 75प्रतिशत शेयर हासिल किए हैं। यह निजीकरण दो दशकों में पहला बड़ा कदम है, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की आर्थिक सुधारों की शर्तों को पूरा करने की दिशा में उठाया गया है। इस कदम से सरकार को घाटे वाली एयरलाइन से छुटकारा मिला, जबकि अब नया मालिक इसे दोबारा से नया बनाएगा।
Pak की सरकारी एयरलाइन PIA
बता दें, इस सौदे के तहत विजेता बोली 135अरब रुपये की लगाई गई, जो PIA की 75प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए है। अब अगर पूरी कंपनी का मूल्यांकन किया जाए, तो यह 180अरब रुपय का आंकड़ा सामने आया है। पाकिस्तान सरकार ने 25प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखी है, लेकिन खरीदार को तीन महीनों के अंदर इसे 12प्रतिशत प्रीमियम पर खरीदने का विकल्प दिया गया है। भुगतान की शर्तों में, खरीदार को तीन महीनों के अंदर दो-तिहाई राशि जमा करनी होगी, जबकि बाकी एक साल में। शेयर ट्रांसफर पूर्ण भुगतान पर ही होगा। सरकार को तत्काल 10अरब रुपये नकद मिलेंगे, जबकि बाकी राशि PIA में निवेश की जाएगी।
यह निजीकरण प्रक्रिया 13वें दौर की खुली नीलामी के माध्यम से हुई, जो टेलीविजन पर लाइव प्रसारित की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे। सरकार ने न्यूनतम बिक्री मूल्य को कम रखा और कई रियायतें दीं, जैसे एयरक्राफ्ट लीज पर 18प्रतिशत सेल्स टैक्स माफ, 36अरब रुपये का टैक्स क्रेडिट और FBR तथा CAA के 33अरब रुपये से अधिक के बकाया को साफ करने के लिए समय विस्तार। एक साल पहले की असफल कोशिश के बाद यह दूसरा प्रयास था। प्रधानमंत्री ने 200अरब रुपये की उम्मीद की थी, लेकिन कम बोली पर सौदा तय हुआ। आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने PIA इनवेस्टमेंट लिमिटेड के 2अरब रुपये के कर्ज को मंजूरी दी।
कौन है PIA का नया खरीदार?
खरीदार एक पाकिस्तानी कंसोर्टियम है, जिसकी अगुवाई प्रमुख निवेश फर्म अरिफ हबीब कर रही है। कंसोर्टियम में फवाद अहमद मुक्तार, गोहर एजाज, अकील करीम ढेढी जैसे प्रमुख कारोबारी शामिल हैं और फौजी फर्टिलाइजर पांचवें साझेदार के रूप में जुड़ सकता है। खरीदार को दो नए साझेदार जोड़ने की अनुमति है, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन भी शामिल हो सकती है। एयर ब्लू जैसी अन्य कंपनियां न्यूनतम बोली से कम ऑफर देने के कारण अयोग्य घोषित हो गईं।
मालूम हो कि PIA कभी क्षेत्र की प्रमुख एयरलाइन थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप, अधिक स्टाफिंग (32 एयरक्राफ्ट पर 300 कर्मचारी प्रति विमान) और प्रबंधन की खामियों से दशकों से घाटे में है। 2020 के एक हादसे के बाद यूरोपीय संघ ने चार साल का उड़ान प्रतिबंध लगाया था, जो दो महीने पहले ही हटा है। एयरलाइन पर 670 अरब रुपये का कर्ज है, जिसकी सालाना 35 अरब रुपये की किश्त करदाताओं से चुकाई जाती है। सरकार ने बैलेंस शीट से 650 अरब रुपये साफ किए, लेकिन कर्ज दोबारा बढ़ने का जोखिम है।
Leave a comment