
India-China Relations: अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने हाल ही में कांग्रेस को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से संबंधित सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रमों पर कांग्रेस को रिपोर्ट (2025) जारी की है। ये रिपोर्ट चीन की सैन्य रणनीति, सेना के आधुनिकीकरण और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बड़े संघर्ष की तैयारी को लेकर अमेरिका के आकलन को सामने रखती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) खुद को एक “मजबूत दुश्मन”, यानी अमेरिका, से मुकाबले के लिए तैयार कर रही है। पेंटागन का दावा है कि बीजिंग एक ऐसी रणनीति पर काम कर रहा है जिसे वह “राष्ट्रीय समग्र युद्ध” कहता है। इसमें फर्स्ट आइलैंड चेन को रणनीतिक केंद्र मानते हुए, साथ-साथ वैश्विक स्तर पर सैन्य ताकत दिखाने की तैयारी भी शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपनी सेना को सिर्फ ताइवान से जुड़े हालात के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक दबाव बनाने, डराने और जरूरत पड़ने पर अलग-अलग क्षेत्रों में युद्ध लड़ने के लिए तैयार कर रहा है। अमेरिका के अनुसार, PLA अब चीन की राष्ट्रीय शक्ति का अहम हथियार बन चुकी है।
भारत के नजरिए से क्यों अहम?
भारतीय दृष्टिकोण से यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह चीन की रणनीति को एक साथ जोड़कर दिखाती है। इसमें चीन की क्षेत्रीय सैन्य प्रभुत्व की कोशिशें, विदेशों में सैन्य और लॉजिस्टिक ठिकानों का बढ़ता नेटवर्क, तेजी से मजबूत होता परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम, साइबर और सूचना युद्ध की क्षमताएं, और पाकिस्तान को एक राजनीतिक साधन के तौर पर इस्तेमाल करने की नीति शामिल है। ये सभी पहलू भारत की सुरक्षा और रणनीतिक गणनाओं को प्रभावित करते हैं।
पेंटागन ने दोहराया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने PLA को 2027 तक अहम सैन्य लक्ष्य हासिल करने का निर्देश दिया है। अमेरिकी आकलन में इसे ताइवान से जुड़े संभावित संकट से जोड़ा जाता है। रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि चीन की लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के सैन्य अभियानों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
चीन की प्रतिक्रिया
इस रिपोर्ट पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन अपनी राष्ट्रीय रक्षा नीति को लेकर पेंटागन की टिप्पणियों का विरोध करता है। भारत-चीन संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ रिश्तों को दीर्घकालिक और रणनीतिक नजरिए से देखता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन भारत के साथ सीमा पर तनाव कम होने का इस्तेमाल अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करने के लिए करेगा, तो लिन जियान ने साफ कहा कि चीन का फोकस भारत के साथ संबंध विकसित करने पर है, न कि किसी तीसरे देश को निशाना बनाने पर।
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