अकेले, बेखौफ, बेफिक्र...खुद की खोज में निकली महिलाएं; देश में बढ़ रहा सोलो ट्रैवल का ट्रेंड

अकेले, बेखौफ, बेफिक्र...खुद की खोज में निकली महिलाएं; देश में बढ़ रहा सोलो ट्रैवल का ट्रेंड

Solo Female Travel: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में फ्रीडम और आत्म-खोज की चाहत हर किसी को अपनी राह चुनने के लिए प्रेरित कर रही है। खासकर भारतीय महिलाओं के बीच सोलो ट्रैवलिंग का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2023से 2025के बीच अकेले यात्रा करने वाली भारतीय महिलाओं की संख्या में 135%की उछाल आया है। अगर 2023में यह आंकड़ा 90,700था, तो 2025तक यह 2.13लाख से ज्यादा हो चुका है। यह आंकड़ा न सिर्फ एक ट्रेंड को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं की बदलती सोच और समाज की प्रगति का आईना भी है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर भारतीय महिलाएं अकेले क्यों घूमने लगी हैं?

सोलो ट्रैवलिंग का उभार

साल 2025में सोलो फीमेल ट्रैवल न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मूवमेंट बन चुका है। स्काईस्कैनर की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती 2025में सोलो ट्रैवल सर्चेस में महिलाओं की हिस्सेदारी 54%रही। भारत में इंट्रसिटी स्मार्टबस के प्यू-रिसर्च से पता चलता है कि जेन जेड (18-25साल की उम्र) वाली महिलाएं 40%सोलो ट्रैवलर्स हैं। एयरबीएनबी के सर्वे में भी 2023में 30%भारतीय महिलाओं ने सोलो ट्रिप्स बुक किए।

रिपोर्ट में बताया गया है कि यह बढ़ोतरी महामारी के बाद की है। कोविड ने लोगों को रूटीन से बाहर निकलने और खुद को प्राथमिकता देने का सबक दिया। 2024-25में वीजा एप्लीकेशंस में सोलो ट्रिप्स 20.6%हिस्सा रखते हैं, जो फ्रीडम की चाहत को दिखाता है। सोशल मीडिया ने भी इसमें बड़ा रोल निभाया है, #SoloFemaleTravel हैशटैग के 120मिलियन से ज्यादा व्यूज हैं।

महिलाओं के सोलो ट्रैवलिंग के कारण

भारतीय महिलाओं के सोलो ट्रैवलिंग की राह में कई कारक काम कर रहे हैं। ये न सिर्फ व्यक्तिगत विकास से जुड़े हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक बदलावों का भी नतीजा हैं। सोलो ट्रैवलिंग से आर्थिक स्वतंत्रता और मिडिल क्लास का विस्तार हुआ। इशके अलावा आत्म-खोज और मेंटल हेल्थ, सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, सोशल मीडिया और इंस्पिरेशन महिलाओं के सोलो ट्रैवलिंग के मुख्य कारण है।

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