तीसरे विश्व युद्ध की घंटी बज गई! अमेरिका का इजरायल को खुला समर्थन, ईरान ने रूस से मांगी सैन्य सहायता

Third World War: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव अब वैश्विक संकट का रूप लेता दिख रहा है। हाल के घटनाओ ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं को और हवा दी है। अमेरिका ने इजरायल को खुला समर्थन देने की घोषणा की है। जबकि ईरान ने रूस से सैन्य सहायता की मांग की है। यह स्थिति वैश्विक शक्तियों को दो खेमों में बांट रही है जिससे दुनिया एक बड़े युद्ध के कगार पर खड़ी दिखाई दे रही है।
इजरायल-ईरान संघर्ष का नया मोड़
पिछले हफ्ते इजरायल ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। जिसमें फोर्डो न्यूक्लियर साइट भी शामिल थी। इन हमलों में ईरान के कई उच्च रैंकिंग सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे "ऑपरेशन राइजिंग लॉयन" करार देते हुए कहा कि यह ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने का पहला कदम है। जवाब में ईरान ने तेल अवीव सहित इजरायल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए। जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।
अमेरिका का इजरायल के साथ दोस्ती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए इजरायल को पूर्ण सैन्य और आर्थिक समर्थन का ऐलान किया। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान ने जवाबी कार्रवाई जारी रखी। तो अमेरिका और नाटो देश मिलकर और बड़े हमले करेंगे। अमेरिकी रक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1950 से 2022 तक इजरायल को 53 बिलियन डॉलर के हथियार दिए गए। जो इसे अमेरिका का प्रमुख सैन्य साझेदार बनाता है।
ईरान की रूस और चीन से अपील
ईरान ने रूस और चीन से सैन्य सहायता की मांग की है। रूस ने पहले ही ईरान को एस-300 वायु रक्षा प्रणाली और शाहेद-136 ड्रोन दे चुका हैं। जो यूक्रेन युद्ध में भी इस्तेमाल हुए। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल के हमलों की निंदा की और कहा कि मध्य पूर्व में अमेरिकी हस्तक्षेप क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है। दूसरी ओर चीन ने भी ईरान के समर्थन में बयान दिया। जिससे वैश्विक शक्तियों के बीच खाई और गहरी हो गई है।
भारत की तटस्थता और मध्यस्थता की संभावना
भारत ने इस संकट में तटस्थ रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत शांति और कूटनीतिक समाधान के पक्ष में है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है। खासकर तेल संकट से निपटने के लिए क्योंकि रूस भारत का वैकल्पिक तेल आपूर्तिकर्ता है।
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