Meta की एक गलती से WhatsApp पर आया बड़ा डेटा संकट, 3.5 अरब यूजर्स हुए प्रभावित

Meta की एक गलती से WhatsApp पर आया बड़ा डेटा संकट, 3.5 अरब यूजर्स हुए प्रभावित

WhatsApp Data Leak:  दुनिया की सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप WhatsApp में एक साधारण सुरक्षा कमी ने 3.5अरब से अधिक यूजर्स की निजी जानकारी को खतरे में डाल दिया है। ऑस्ट्रिया की यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि WhatsApp की 'कॉन्टैक्ट डिस्कवरी' सुविधा का दुरुपयोग कर अरबों फोन नंबरों को आसानी से पहचाना जा सकता है। यह घटना डेटा ब्रीच नहीं है, बल्कि सिस्टम की एक कमजोरी है, जिसे मेटा (WhatsApp की पैरेंट कंपनी) को पहले से चेतावनी मिल चुकी थी। शोधकर्ताओं ने 245देशों में फैले 3.5अरब एक्टिव अकाउंट्स की पुष्टि की, जो अब स्पैम, फिशिंग और साइबर हमलों के लिए असुरक्षित हो गए हैं।

सिस्टम की बुनियादी कमी का फायदा

बता दें, शोधकर्ताओं ने WhatsApp की उस सुविधा का परीक्षण किया, जो यूजर्स को फोन नंबर डालकर यह जांचने की अनुमति देती है कि क्या वह नंबर ऐप पर रजिस्टर्ड है। सामान्य रूप से यह फीचर दोस्तों को ढूंढने के लिए है, लेकिन शोधकर्ताओं ने अरबों फोन नंबरों को सिस्टम में फीड कर 3.5अरब एक्टिव यूजर्स की पहचान की। इसमें प्रोफाइल फोटो, स्टेटस और अन्य मेटाडेटा भी हासिल किया गया।

यूनिवर्सिटी ऑफ विएना की टीम ने बताया कि उन्होंने दसियों अरब फोन नंबरों का उपयोग किया, जो सार्वजनिक डेटाबेस से लिए गए थे। जिस वजह से उन्होंने पूरी WhatsApp डायरेक्टरी को पुनर्निर्मित कर लिया। यह प्रक्रिया महज कुछ हफ्तों में पूरी हुई और इससे पता चला कि WhatsApp के 3.5अरब यूजर्स में से अधिकांश के नंबर अब सार्वजनिक रूप से सुलभ हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मेटा ने इस कमी को ठीक करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए, जबकि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे पहले ही चिह्नित किया था। 

चेतावनी के बावजूद लापरवाही

मेटा को इस सुरक्षा कमी के बारे में पहले से जानकारी थी। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कई बार चेतावनी दी कि WhatsApp का सिस्टम फोन नंबरों को बड़े पैमाने पर एक्सपोज कर सकता है। फिर भी, कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया, जिसके कारण यह एक्सपोजर हुआ। मेटा के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि वे यूजर प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हैं और इस मुद्दे पर जांच कर रहे हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि यह 'सबसे बड़ा डेटा लीक' है, जो मेटा की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है।

स्पैम से लेकर साइबर फ्रॉड तक खतरा

यह एक्सपोजर यूजर्स के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। क्योंकि पिछले कुछ महीनों में WhatsApp से जुड़ी अन्य सुरक्षा समस्याएं भी सामने आईं, जैसे स्पाइवेयर अटैक और फर्जी विज्ञापनों का मुद्दा।  लेकिन यह नया खुलासा लगभग हर यूजर को प्रभावित करता है चाहे उनका नंबर प्राइवेट क्यों न हो। अब हैकर्स आसानी से फोन नंबरों की लिस्ट बना सकते हैं, जिससे स्पैम मैसेज, फिशिंग स्कैम और यहां तक कि रैंसमवेयर अटैक बढ़ सकते हैं।

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