
यमुनानगर: हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को पढ़ाई जाने वाली इतिहास की पुस्तकों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहें है। इस बारे में एक विशेष बातचीत के दौरान हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुज्जर ने बताया कि अबतक बच्चों को छोटा इतिहास पढ़ाया जा रहा था। सरकार द्वारा कक्षा दर कक्षा विद्यार्थियों को पढ़ाई जाने वाली इतिहास की पुस्तकों में सुधार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा जानकारी बच्चों को दी जा सके। शिक्षा मंत्री की माने तो अब से पहले बच्चों को सन् 1947तक तो बहुत सारी स्वतंत्रता संग्राम की गाथाएं पढ़ाई जाती थी मगर उसके बाद कुछ नही बताया गया था। जिसे अब उनकी सरकार ने इतिहास में जोड़ा है।
वीर सावरकर एक महान विद्वान थे देश की आजादी में उनका बहुत बड़ा योगदान था बहुत से क्रांतिकारियों का कहना है कि 1857की क्रांति पर वीर सावरकर द्वारा लिखी गई पुस्तक को पढ़कर या वीर सावरकर के नजदीक आने से वह आंदोलन में शामिल हुए। शिक्षा मंत्री ने बताया कि सावरकर जी ने कठिन जीवन बिताया उन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ इतने अत्याचार सहकर भी साहित्य रचना प्रेरणा देना कोई मामूली बात नही है। निश्चित तौर पर उनके बारे में पढ़ा जाना चाहिए ऐसा वह प्रयास भी कर रहे है। शिक्षा मंत्री ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में बहुत महान पुरूष हुए है जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है। इनमें राजा नाहर सिंह, राव तुलाराम, सर छोटूराम और सर रीखीराम जैसे नाम शामिल है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में भी ऐसे बहुत महान क्रांतिकारी हुए है जिनके बलिदान के बारे में बहुत कम लोग जानते है।
महात्मा गांधी जी को हरियाणा के पाठ्यक्रम से हटाया नहीं जाएगा, एक समय में दो विचारधाराएं हो सकती है, वीर सावरकर और महात्मा गांधी एक दूसरे के विरोधी या दुश्मन नहीं थे, अपना अपना तरीका जरूर अलग हो सकता है। देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी जी को जो सही लगा उन्होंने वैसा किया वीर सावरकर जी को जैसा उचित लगा उन्होंने वैसा किया शहीद-ए-आजम भगत सिंह को जो सही लग रहा था उन्होंने वैसा किया। यह सब महापुरुष थे यह जरूरी नहीं है कि तीनों एक दूसरे के तरीके से काम करें लेकिन लड़ाई सभी देश की आजादी के लिए और आने वाली नसल के लिए लड़ रहें थे। हरियाणा सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम देश में नया उदाहरण बनेगा और सुधार करने के नए मौके भी मिलेंगे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अबतक विद्यार्थियों को जो पढ़ाया जा रहा था वह कम पढ़ाया जा रहा था या यूं कहें कि एक छोटा सा दौर पढ़ाया जा रहा था। आज किसी से भी पूछो तो वह कहेगा कि हम बहुत लंबे समय तक गुलाम रहें है जबकि यह सच्चाई नही है, कुछ इलाके मुगलों के आधीन थे लेकिन उस दौर में भी बहुत स्वतंत्र राजा थे जिन्होंने बहुत सी लड़ाईयां लड़ी और जीती। इस बारे में इतिहासकारों को तो पता है लेकिन विद्यार्थियों को कम ज्ञान था। ऐसे महापुरूषों के बारे में अब बताया जाएगा।
Leave a comment