
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दिल्ली स्थित आवास पर गुरुवार को कर्नाटक के कई विधायकों ने अचानक पहुंचकर उनसे मुलाक़ात की। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह बैठक विधायकों की पहल पर बुलाई गई थी। चूंकि सुरक्षा विभाग को इसकी पूर्व सूचना नहीं थी, इसलिए खड़गे आवास के गेट पर प्रोटोकॉल में कुछ त्वरित बदलाव करने पड़े। बाद में खड़गे ने सभी विधायकों से व्यक्तिगत रूप से बात कर उनकी चिंताओं और सुझावों को धैर्यपूर्वक सुना।
शिवकुमार- विधायकों के दिल्ली दौरे की जानकारी नहीं
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस दिल्ली दौरे से खुद को पूरी तरह अनभिज्ञ बताया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मुझे कुछ पता नहीं है। न मैंने किसी से पूछा और न मुझे कोई जानकारी दी गई।” शिवकुमार ने बताया कि स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वह पिछले कुछ दिनों से घर से बाहर नहीं निकल पाए हैं। यह बयान उस समय अहम माना जा रहा है, जब पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन को लेकर चर्चाएँ तेज हैं।
सीएम पद पर सिद्धारमैया के बयान से शिवकुमार संतुष्ट
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस बयान कि वे पद पर बने रहेंगे, पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार ने सकारात्मक रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारियां दी हैं, वे उसके अनुसार ही काम कर रहे हैं। शिवकुमार ने सहयोगी नेतृत्व की बात दोहराते हुए कहा कि सरकार टीमवर्क के सिद्धांत पर ही आगे बढ़ेगी।
इस पूरी हलचल के बीच शिवकुमार समर्थक करीब दस विधायकों का दिल्ली पहुँचना राजनीतिक तापमान और बढ़ा रहा है। बताया जा रहा है कि ये विधायक हाईकमान से पावर-शेयरिंग फॉर्मूला लागू करने की मांग को दोहराना चाहते हैं। संयोग से यह घटनाक्रम सिद्धारमैया सरकार के 2.5 साल पूरे होने के ठीक समय सामने आया है—वही मिड-टर्म पॉइंट, जहां से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा लंबे समय से चल रही है। कर्नाटक कांग्रेस में सब कुछ ठीक है या नहीं, यह सवाल अब और गहराता जा रहा है।
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