Shardiya Navratri 2025: आज से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो गया है और इस पावन अवसर पर देवी दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। 'शैलपुत्री' का अर्थ है पर्वत की पुत्री—और पौराणिक कथाओं के अनुसार वे पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं। पूर्वजन्म में वे माता सती थीं, जिन्होंने अपने पिता दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमान के चलते यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। पुनर्जन्म में वे हिमालय के घर जन्मीं और कठोर तप से शिवजी को पुनः पति रूप में प्राप्त किया। मां शैलपुत्री वृषभ पर सवार होती हैं, उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल होता है, जो ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है।
पूजा विधि से मिलेगी मां दुर्गा की कृपा
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की विशेष पूजा की जाती है। पूजा के लिए सबसे पहले लाल कपड़े पर मां का चित्र स्थापित करें, फिर गंगाजल से स्नान कराएं और तिलक, फूल, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इसके बाद मां की आरती कर उन्हें प्रणाम करें। मां शैलपुत्री के शांत स्वरूप की आराधना से घर में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
आज घटस्थापना के दो शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत आज रात 1:23 बजे से हो चुकी है और यह कल 23 सितंबर को रात 2:55 बजे तक रहेगी। घटस्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त आज सुबह 6:09 से 8:06 बजे तक रहा, जबकि दूसरा मुहूर्त 11:49 से 12:38 बजे तक का है। इन मुहूर्तों में कलश स्थापित कर नवरात्र पूजा की शुरुआत करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो विधिपूर्वक पूजा कर इस आध्यात्मिक पर्व की शुरुआत करें।
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