
NVS01: ISRO ने आज (29 मई 2023) नए जेनरेशन के नेविगेशन सैटेलाइट्स NVS-01 लॉन्च कर दिया है। इसकी लॉन्चिंग GSLV-F12 रॉकेट से की गई। जिस रॉकेट से इसकी लॉन्चिंग की गई है उसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन लगा था। रॉकेट को नेविगेशन सैटेलाइट के साथ सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से छोड़ा गया।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से सुबह 10: 42 बजे नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया। जिसका नाम NVS-01 है, जिसे GSLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया।
NVS-01 सैटेलाइट को धरती की जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में 36,568 किलोमीटर ऊपर तैनात किया जाएगा। ये सैटेलाइट धरती के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। लॉन्च के बाद करीब 18 मिनट में जीएसएलवी रॉकेट धरती 251.52 किलोमीटर ऊपर सैटेलाइट को छोड़ देगा। इसके बाद वह अपनी कक्षा तक की यात्रा खुद करेगा। अपने थ्रस्ट्रर्स की बदौलत वह निर्धारित कक्षा में पहुंच जाएगा।
51 मीटर ऊंचा है GLSV-F12
जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट 51.7 मीटर ऊंचा रॉकेट है। जिसका वजन करीब 420 टन है। इसमें तीन स्टेज हैं। वहीं NVS-01 सैटेलाइट का वजन 2232 किलोग्राम है। यह सैटेलाइट भारत और उसकी सीमाओं के चारों तरफ 1500 किलोमीटर तक नेविगेशन सेवाएं देगा। यह किसी भी स्थान की एक्यूरेट रीयल टाइम पोजिशनिंग बताएगा।
सैटेलाइट में लगी है परमाणु घड़ी
वहीं इस बार इस नेविगेशन सैटेलाइट में स्वदेश निर्मित रूबिडियम एटॉमिक क्लॉक का इस्तेमाल भी हो रहा है। इसे अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने बनाया है। ऐसी परमाणु घड़ियां रखने वाले गिने-चुने ही देश हैं। ये घड़ी बेहतरीन और सटीक लोकेशन, पोजिशन और टाइमिंग बताने में मदद करता है।
NVS-01 सैटेलाइट का मुख्य काम
Leave a comment