Kalashtami Vrat Katha: कालाष्टमी के दिन व्रत कथा का करें पाठ, मिलेगा भय और परेशानियों से छुटकारा

Kalashtami Vrat Katha: कालाष्टमी के दिन व्रत कथा का करें पाठ, मिलेगा भय और परेशानियों से छुटकारा

Kalashtami Vrat Katha In Hindi: हर साल काल भैरव की जयंती, जिसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उत्पत्ति का प्रतीक है। काल भैरव को बाबा महाकाल भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान भैरव की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति न केवल भयमुक्त होता है, बल्कि उसकी जीवन की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही, इस दिन भक्तों को भैरव बाबा की कथा का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है ताकि पूजा सफल हो सके।

कालाष्टमी व्रत कथा

शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी सुमेरु पर्वत पर ध्यान मग्न थे, जब देवता उनके पास पहुंचे और संसार के अविनाशी तत्व के बारे में पूछा। ब्रह्मा जी ने गर्व से कहा कि वे स्वयं ही सर्वश्रेष्ठ हैं और संसार का सृजन उन्हीं से हुआ है। यह सुनकर विष्णु जी को यह बात अप्रिय लगी और उन्होंने ब्रह्मा जी को समझाया कि वे भगवान शिव की आज्ञा से सृष्टि के रचनाकार हैं।

इसके बाद, दोनों देवताओं ने वेदों के आधार पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास किया। ऋग्वेद ने भगवान शिव को सर्वोच्च बताया, यजुर्वेद ने उनकी कृपा से वेदों की प्रमाणिकता की बात की, और सामवेद ने कहा कि भगवान शिव के तेज से समस्त संसार प्रकाशित होता है।

काल भैरव का प्रकट्य और ब्रह्म हत्या का दोष

ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का नकारण किया, जिसके बाद ओंकार ने भगवान शिव को परमेश्वर और संसार के कर्ता बताया। अचानक, ब्रह्मा और विष्णु के बीच से एक विशाल ज्योति प्रकट हुई, जिससे ब्रह्मा जी का पांचवां सिर जलने लगा। तभी भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप में प्रकट होकर ब्रह्मा जी के सिर को काट डाला। इसके कारण ब्रह्मा जी पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया।भगवान शिव ने उन्हें पाप से मुक्ति पाने के लिए तीर्थों का भ्रमण करने का आदेश दिया। काल भैरव ने तीर्थों की यात्रा की और अंत में शिव की नगरी काशी पहुंचे, जहां उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली।

कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और भय से मुक्ति मिलती है, जो इसे एक विशेष अवसर बनाता है।

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