Bhai Dooj Katha: भाई दूज जिसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और उनके बीच आपसी विश्वास व प्यार को बढ़ाने का एक खास अवसर है। तो आइए, भाई दूज की पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में जानते हैं।
भाई दूज कब मनाया जाएगा?
2025में भाई दूज का त्योहार 23अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दौरान तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:19बजे से 3:35बजे तक रहेगा। जयोतिषाचार्यों के अनुसार, यह समय भाई-बहन के स्नेह को और शुभ फल प्रदान करने वाला माना गया है।
भाई दूज की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो भाई दूज की कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है। कथा के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए। यमुना ने अपने भाई का अच्छे से खुशी से उनका स्वागत किया और उनकी आरती उतारी। यमुना ने यमराज के मस्तक पर तिलक लगाया और उनके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया। दूसरी तरफ, यमराज भी अपनी बहन के इस स्नेह अतिथि-सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए।
जब यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने उनसे अनुरोध किया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करके उसका स्वागत करे, उसे यमराज की ओर से लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त हो। यमराज ने तथास्तु कहकर यह वरदान दे दिया। तभी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए तिलक करती हैं।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और उनके बीच के अटूट बंधन को दर्शाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर और उनकी रक्षा का वचन देकर अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं।
भाई दूज कैसे मनाया जाता है?
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