खुद की मिसाइल से तबाह होते-होते बचा पाकिस्तान , सेना की गलती या बलूचिस्तान के खिलाफ रची गई कोई साजिश !

खुद की मिसाइल से तबाह होते-होते बचा पाकिस्तान , सेना की गलती या बलूचिस्तान के खिलाफ रची गई कोई साजिश !

Shaheen Missile: कहावत है कि मुसीबत आने पर शुतुरमुर्ग अपना सिर रेत में छिपा लेता है, यह भ्रम पालते हुए कि अब उसे कोई नहीं देख सकता। कुछ ऐसी ही स्थिति इन दिनों पाकिस्तान की है। पाकिस्तानी सेना ने अपनी शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण किया, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। लेकिन सेना का ये परीक्षण विफल रहा, जिसके कारण एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, मिसाइल अपने निशाने से चूक गई और पंजाब प्रांत के डेरा गाजी खान में एक परमाणु केंद्र के पास विस्फोट हुआ। इसका मलबा बलूचिस्तान के डेरा बुगटी जिले में गिरा, जो नागरिक बस्तियों के बेहद करीब था। हादसे के बाद पाकिस्तानी सेना ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं, मीडिया को खबरें प्रसारित करने से रोका और लोगों को घरों में रहने का आदेश दिया। यह घटना न केवल पाकिस्तानी सेना की सैन्य क्षमता पर सवाल उठाती है, बल्कि बलूचिस्तान के लोगों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है।

क्यों खास है शाहीन-3 मिसाइल ?

शाहीन-3 पाकिस्तान की एक शक्तिशाली सतह से सतह बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 2750 किमी तक मार कर सकती है और 20-25 से 500 किलोटन तक के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। ठोस ईंधन पर आधारित यह मिसाइल, जिसे 2000 के दशक में चीन की सहायता से विकसित किया गया, भारत के प्रमुख शहरों तक पहुंच सकती है। हालांकि, इसके बार-बार असफल परीक्षणों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। 22 जुलाई 2025 को डेरा गाजी खान के राखी क्षेत्र से किए गए इसके परीक्षण में मिसाइल निशाने से चूक गई और बलूचिस्तान के डेरा बुगटी के मट्ट क्षेत्र में, नागरिक बस्तियों से मात्र 500 मीटर दूर गिरकर धमाका कर दिया। इसकी आवाज 20-50 किमी दूर तक सुनाई दी। पाकिस्तानी सेना ने इंटरनेट बंद कर दिया, मीडिया को रोका और लोगों को घरों में रहने को कहा। बलूच संगठनों ने इस घटना की निंदा की, इसे स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

डेरा गाजी खान का महत्व

परमाणु केंद्र की भूमिका: डेरा गाजी खान पाकिस्तान का प्रमुख परमाणु केंद्र है, जहां यूरेनियम का भंडारण और प्रोसेसिंग होती है। 1970 में पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन द्वारा स्थापित पायलट प्लांट प्रतिदिन 10,000 पाउंड यूरेनियम प्रोसेस करता है और सालाना 360 ग्राम हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम उत्पादित करता है, जो इसे पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्रीय हिस्सा बनाता है।

मिसाइल परीक्षणों में असफलताएं:शाहीन-3 जैसे मिसाइल परीक्षणों की बार-बार विफलता, जैसे 2023 में डेरा गाजी खान और 2021 में डेरा बुगटी में हुए हादसे, पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक में कमियों को उजागर करते हैं। इन हादसों ने स्थानीय स्तर पर नुकसान और बलूचिस्तान में आक्रोश पैदा किया है।

चीन का सहयोग और वैश्विक चिंता:चीन के समर्थन से चलने वाला यह परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम भारत और बलूच संगठनों के लिए चिंता का कारण है। अमेरिका इस पर नजर रखता है, और बलूच संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से इस कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

पाकिस्तान में रहस्यमय धमाका, भारत के लिए संकेत

पाकिस्तानी अधिकारियों ने डेरा गाजी खान में हुए धमाके को आतंकी हमला नकारते हुए इसे फाइटर जेट की सोनिक बूम बताया, जिसमें कोई हताहत या नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, डेरा बुगटी में मिसाइल का मलबा, इंटरनेट-मीडिया पर पाबंदी और परमाणु केंद्र की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल, जो भारत को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है, के बार-बार असफल टेस्ट से उसकी सैन्य विश्वसनीयता कमज़ोर होती दिख रही है। मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाया था, और यह हादसा पाकिस्तान की जवाबी ताकत पर सवाल उठाता है। लेकिन, डेरा गाजी खान जैसे परमाणु केंद्र पर हादसे का खतरा और बलूचिस्तान में बढ़ती अशांति भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे सीमा पर अस्थिरता बढ़ सकती है।

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