नई दिल्ली : राजस्थान में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। गहलोत समर्थक विधायक सचिन पायलट के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को बिलकुल तैयार नहीं हैं और अब दिल्ली हाई कमान तक इसकी चिंगारी पहुंच चुकी हैं। सोनिया गांधी अशोक गहलोत से काफी नाराज है और सूत्रों के अनुसार अब गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से भी बाहर हो गए है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि कांग्रेस हाईकमान की फटकार के बाद गहलोत खेमे के इस्तीफा देने वाले विधायकों के सुर बदलने लगे हैं। अब इन इस्तीफा देने वाले विधायकों का कहना है कि उन्हें हाईकमान का हर फैसला मंजूर है। संदीप यादव गहलोत की सरकार बचाने में बहुत महत्वपूर्ण हैं और वह अब हाईकमान का फैसला मंजूर करने की बात कर रहे हैं।
विधायक हाईकमान के साथ
बता दें मंगलवार सुबह गहलोत खेमे के विधायक संदीप यादव ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा, ''मैं कांग्रेस हाईकमान के साथ हूं। उनका हर फैसला मुझे मंजूर है।'' वहीं, मदन प्रजापति ने भी अपना रुख बदलते हुए सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने पर एतराज नहीं होने की बात कह कही। इसी के साथ इंदिरा मीणा, जितेंद्र सिंह, मदन प्रजापति और अशोक गहलोत समर्थक चौथे विधायक संदीप यादव ने पलटी मार दी है।
विधायकों का बयान
इससे पहले गहलोत खेमे की विधायक इंदिरा मीणा ने कहा था कि हमें पहले मुख्यमंत्री निवास बुलाया गया था। मगर बाद में कहा गया कि शांति धारीवाल के घर आओ। वहां जाने पर एक कागज पर साइन करा लिया और वो हमने पढ़ा नहीं। हमारा सचिन पायलट से कोई विरोध नहीं है। वह सीएम बनते हैं तो हमारे लिए अच्छा रहेगा। वहीं, शांति धारीवाल के घर इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक जितेंद्र सिंह ने कहा था, इस्तीफे का काम गलत है। मैं आलाकमान के साथ हूं, चाहे जिसे मुख्यमंत्री बनाए मैं साथ दूंगा। जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें विधायक दल की बैठक के लिए मुख्यमंत्री निवास बुलाया गया था, जहां से फोन कर धारीवाल के बंगले पर बुला लिया गया।
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