
Supreme Court On BLOs:सुप्रीम कोर्ट ने बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) के समर्थन में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने BLOs की व्यथा और शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्यों को निर्देश दिए हैं कि यदि BLOs पर असहनीय कार्यभार है, तो तुरंत अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाए। ताकि BLOs पर काम का दबाव कम हो सके। हालांकि, BLOs पर काम का अत्यधिक दबाव है, जिसके कारण कई BLOs ने आत्महत्या तक कर ली है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि BLOs को अवास्तविक लक्ष्य दिए जा रहे हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
मालूम हो कि SIR यानी विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान कई BLOs पर अत्यधिक दबाव और असुविधाजनक शिफ्टिंग का आरोप रहा है। बताया जा रहा है कि BLOs अक्सर अपनी नियमित नौकरी (जैसे कि शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि) के बाद रात को या अतिरिक्त घंटे काम करने को मजबूर हो रहे थे। इन हालातों में कई राज्यों से यह खबर आई है कि BLOs की मानसिक और शारीरिक परेशानी इतनी बढ़ गई थी कि कुछ ने आत्महत्या जैसा दुःखद कदम लिया। इसके अलावा ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां BLOs को असाइनमेंट पूरा न करने पर FIR जैसी कानूनी कार्रवाई की धमकी मिली, जिससे डर और तनाव बढ़ गया।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत भी शामिल थे ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकारें और राज्य चुनाव आयोग उस कानूनन दायित्व से भाग नहीं सकते जिसमें उन्हें चुनाव‑सम्बंधित कामों के लिए पर्याप्त स्टाफ मुहैया कराने का निर्देश है। यदि किसी BLO को स्वास्थ्य, पारिवारिक या अन्य व्यक्तिगत कारणों से SIR ड्यूटी से राहत चाहिए, तो राज्य सरकार को तुरंत उसकी जगह किसी अन्य कर्मचारी की व्यवस्था करनी होगी — न कि बस कर्मी हटाकर काम रोक देना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अतिरिक्त स्टाफ तैनात करना, कार्य घंटे कम करना और ड्यूटी बनाम निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य है।
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